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बिहार के शेल्टर होम केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले को दिल्ली के साकेत के POCSO कोर्ट ट्रांसफर कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आदेश किया की इस मामले में दो महीने के अंदर ट्रायल शुरू होनी चाहिए साथ ही 6 महीने में कार्यवाही पूरी हो.
सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटना और सरकार की तरफ से कमजोर दलीलों पर बिहार सरकार से नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा,
बता दें कि मुजफ्फरपुर के एक शेल्टर होम ( बालिका गृह ) में 34 नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था.
कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए पूछा कि अगर इस मामले में आपके पास पूरी जानकारी नहीं है तो किसी अफसर को बुलाइये. कोर्ट ने गुस्से में कहा कि पटना से दिल्ली का रास्ता दो घंटे का है. और अगर ऐसा ही रहा तो हम बिहार के चीफ सेक्रेटरी को भी यहां खड़ा कर सकते हैं.
कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रहे अधिकारी के ट्रांसफर को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि इस मामले में अभी तक 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है. तब ही कोर्ट ने पुछा,
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की जांच होने तक किसी भी अधिकारी के तबादला नहीं करने को लेकर आदेश दिया था.
दरअसल, मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की ओर से अप्रैल में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी. जिसमें पहली बार इस बालिका गृह में रह रही लड़कियों से कथित दुष्कर्म की बात सामने आई थी. टीम ने 26 मई को उसकी रिपोर्ट बिहार सरकार और मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन को भेजी थी. मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस हरकत में आई. जिसके बाद पुलिस ने बालिका गृह में 34 नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया. पुलिस के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में 40 से अधिक लड़कियां थी और मेडिकल रिपोर्ट बताती हैं कि उनमें से 34 के साथ रेप हुआ था.
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