Home News India CBI जांच से कोर्ट के फैसले तक- ये है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
CBI जांच से कोर्ट के फैसले तक- ये है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है.
क्विंट हिंदी
भारत
Published:
i
CBI जांच से कोर्ट के फैसले तक- ये है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
(फोटोः PTI)
✕
advertisement
बिहार का मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला करीब दो साल पहले सामने आया था. अब इस मामले में कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है. ये पूरा मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म से जुड़ा है.
इससे पहले कोर्ट ने शनिवार को मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने दावा किया कि मामले में गवाहों की गवाही भरोसे लायक नहीं है. लेकिन जज ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यौन हमले का मामला आश्रय गृह में कुछ लड़कियों की कथित हत्या के मामले से अलग है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में कब क्या हुआ
फरवरी 2018: पुणे के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के अधिकारियों की एक टीम ने बिहार के समाज कल्याण विभाग के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की. TISS ने अपनी रिपोर्ट में नाबालिग लड़कियों पर यौन हमले के मुद्दे का खुलासा किया था.
26 मई, 2018: TISS रिपोर्ट को बिहार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेज दिया गया.
31 मई, 2018: TISS रिपोर्ट के आधार पर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाई गई. और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई.
14 जून, 2018: बिहार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह को सील किया और 46 नाबालिग लड़कियों शिफ्ट कर दिया.
24 जुलाई, 2018: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बोलते हुए कहा, "अगर राज्य सरकार इसकी सिफारिश करती है, तो हम सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं."
26 जुलाई, 2018: बिहार सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की.
29 जुलाई, 2018: मुजफ्फरपुर में अपने दूसरे आश्रय घरों से लापता 15 महिलाओं और बच्चों के संबंध में ठाकुर के खिलाफ एक नई शिकायत दर्ज की गई. बाद में, पूछताछ से पता चला लड़कियां 9 जून से लापता थे.
1 अगस्त, 2018: बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को राज्य भर में आश्रय घरों की निगरानी के लिए लिखा. मामले को तत्काल निपटाने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट का सुझाव दिया. और TISS की रिपोर्ट की विस्तृत जांच करने के लिए भी कहा.
2 अगस्त, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र और बिहार दोनों सरकारों से जवाब मांगा. कोर्ट सीबीआई को आश्रय गृह की फॉरेंसिक जांच कराने का भी निर्देश दिया.
3 अगस्त, 2018: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा दिलाया कि अपराध में शामिल दोषियों के प्रति कोई ढिलाई नहीं दिखाई जाएगी. CBI मामले की जांच कर रही है. कोर्ट को इस मामले की निगरानी करनी चाहिए.”
4 अगस्त, 2018: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर आश्रय घरों में कथित बलात्कार के खिलाफ अपना गुस्सा दिखाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर में धरना और कैंडल लाइट मार्च निकाला.
5 अगस्त, 2018: बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य कल्याण विभाग के छह सहायक निदेशक को उनके कर्तव्य में लापरवाही के लिए और TISS सोशल ऑडिट रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने में देरी के लिए निलंबित कर दिया.
7 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को दिल्ली के साकेत कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ब्रजेश ठाकुर समेत सभी आरोपियों को दिल्ली शिफ्ट किया गया.
25 सितंबर 2019: ईडी ने ब्रजेश ठाकुर की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की.
30 सितंबर 2019: साकेत कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा.
14 नवंबर 2019: वकीलों की हड़ताल की वजह से कोर्ट फैसला नहीं सुना पाया और फैसले की तारीख 12 दिसंबर तय की गई.
12 दिसंबर 2019: कोर्ट ने फैसले की तारीख को आगे 20 जनवरी 2020 तक बढ़ा दिया.
20 जनवरी को कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी समेत 19 आरोपियों को दोषी करार दिया है. हालांकि, दोषियों के लिए सजा का फैसला कोर्ट ने अभी नहीं किया है, जो 28 जनवरी को तय किया जाएगा.