advertisement
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय की शोध छात्रा दीपा एम मोहन के अपने प्रोफेसर के खिलाफ जातिगत भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना दिए जाने की शिकायत दर्ज कराने के एक साल से भी अधिक समय बाद विश्वविद्यालय सिंडीकेट ने प्रोफेसर के खिलाफ कारर्वाई करने का निर्णय लिया है.
एमजी यूनिवर्सिटी, कोट्टायम के इंटरनेशनल एंड इंटरयूनिवर्सिटी सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी में पीएचडी की छात्रा दीपा ने पिछले साल शिकायत दर्ज कराई थी कि सेंटर के जॉइंट डायरेक्टर नंदकुमार कलारिकल उसके साथ जाति के आधार पर भेदभाव कर रहे हैं.
हालांकि दीपा की शिकायत को काफी मीडिया अटेंशन मिला था, पर यूनिवर्सिटी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी.
सोमवार को यूनिवर्सिटी सिंडिेकेट की बैठक ने सिफारिश की एससी/एसटी (एट्रोसिटीज प्रीवेंशन) एक्ट की उचिट धारा के तहत प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए.
प्रोफेसर को अपने व्यवहार के लिए कारण बताने के लिए कहा गया है, जिसके न बता पाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा. फिलहाल उन्हें जॉइंट डाइरेक्टर की कुर्सी से हटा दिया गया है.
इसकी शुरुआत तब हुई, जब दीपा को यूनिवर्सिटी की लेबोरेटरी और बाकी सुविधाओं का लाभ उठाने से रोक दिया गा. दीपा ने प्रोफेसर पर उसे लेबोरेटरी में बंद कर देने का भी आरोप लगाया.
दीपा ने पिछले अप्रैल में न्यूज मिनट को बताया था कि जब उसने उपकुलपति शीना शुक्कूर को अपनी परेशानी के बारे में बताया था, तो नंदकुमार ने उन्हें कहा था कि यूनिवर्सिटी में अनुशासन बनाए रखना है, तो दलित विद्यार्थी को ज्यादा बढ़ावा नहीं देना चाहिए. तब दीपा को महसूस हुआ कि उसकी जाति ही उसका गुनाह है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)