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मोदी कैबिनेट में 7 जुलाई को विस्तार के बाद, 7 और महिलाओं को मंत्रीपद दिया गया है. इसके बाद से प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में महिला मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है. मोदी सरकार में निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, साध्वी निरंजन ज्योती और रेणुका सिंह पहले ही मंत्री हैं. आइए जानते हैं किन्हें क्या विभाग मिला है और उनका सियासी इतिहास क्या रहा है?
अनुप्रिया पटेल को छोड़कर सभी 6 नेता पहली बार मंत्री बनी हैं. इन सात महिला मंत्रियों के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और रेणुका सिंह सरूता पहले ही मंत्रिपरिषद में शामिल हैं.
आइए जानते हैं किसे क्या जिम्मेदारी दी गई है और कौन सा पोर्टफोलियो यानी मंत्रालय मिला है.
दिल्ली से लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया है. इसके साथ ही उन्हें संस्कृति मंत्रालय में भी राज्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. ये पहला मौका है जब मीनाक्षी लेखी केंद्र सरकार में मंत्री बनी हैं.
मीनाक्षी लेखी पहली बार साल 2014 में नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारी थीं, और इस चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आशीष खेतान को हराया था. दूसरी बार साल 2019 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अजय माकन को हराकर लोकसभा पहुंची. मिनाक्षी लेखी वकील भी हैं.
प्रतिमा भौमिक ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली. वो त्रिपुरा की पहली नेता हैं जो केंद्रीय मंत्री बनी हैं. 52 साल की भौमिक का लोकप्रिय नाम ‘प्रतिमा दी’ है. प्रतिमा भौमिक सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय में राज्यमंत्री बनी हैं.
भौमिक पहली बार 2019 में पश्चिम त्रिुपरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनी हैं. इससे पहले वह भाजपा की त्रिपुरा इकाई की महासचिव थीं.
गुजरात से तीन बार की सांसद दर्शना जरदोश को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है. 60 साल की जरदोश ओबीसी समाज से आती हैं और उन्हें रेलवे राज्यमंत्री बनाया गया है. इसके साथ ही उन्हें कपड़ा मंत्रालय में भी राज्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है.
दर्शना जरदोश ने तीन बार साल 2009, 2014 और 2019 में सूरत से लोकसभा चुनाव जीता है. जरदोश 1980 के दशक में सूरत बीजेपी की वार्ड नंबर आठ समिति की उपाध्यक्ष रहीं और बाद में 2000 में इसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं. इसके बाद उन्हें सूरत बीजेपी की महिला ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया और फिर से 2008 तक प्रदेश बीजेपी की महिला ईकाई का महासचिव बनाया गया.
झारखंड के कोडरमा से सांसद अन्नपूर्णा देवी को नरेंद्र माेदी सरकार में मंत्री बनाया गया है. वह केंद्र में शिक्षा राज्य मंत्री बनाई गई हैं. अन्नपूर्णा देवी बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. इससे पहले वो आरजेडी में थीं, लेकिन साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुई थीं.
सांसद अन्नपूर्णा रमेश प्रसाद यादव की पत्नी हैं. रमेश यादव 1998 में एकीकृत बिहार के मंत्री रह चुके थे लेकिन रमेश प्रसाद यादव के निधन के बाद 1999 में अन्नपूर्णा देवी ने विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और पहली बार में ही विधायक बनीं. इसके एक साल बाद ही विधानसभा चुनाव में अन्नपूर्णा ने दोबारा जीत दर्ज की. जिसके बाद उन्हें बिहार सरकार में मंत्री बनाया गया था.
झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद अन्नपूर्णा देवी ने साल 2005 और 2009 में विधानसभा का चुनाव जीता. साल 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में आरजेडी के कोटे से जल संसाधन मंत्री बनीं. हालांकि, इसके एक साल बाद वर्ष 2014 में उन्हें कोडरमा से ही विधानसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा था.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल की मोदी कैबिनेट में वापसी हुई है. अपना दल की अनुप्रिया अनुप्रिया 2014 में और फिर 2019 में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लोकसभा के लिए चुनी गईं. अनुप्रिया 2016 से 2019 तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री रहीं. इस बार उन्हें केंद्रीय कॉमर्स एंड इंडस्ट्री राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
वह पहले वाराणसी में रोहनिया निर्वाचन क्षेत्र के लिए यूपी विधान सभा के सदस्य के रूप में चुनी गई थीं, जहां उन्होंने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में पीस पार्टी ऑफ इंडिया और बुंदेलखंड कांग्रेस के साथ गठबंधन में एक अभियान लड़ा था.
मनोविज्ञान में मास्टर्स डिग्री और मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) करने वाली अनुप्रिया 2009 में अपने पिता के निधन के बाद से अपना दल की अध्यक्ष हैं. अपना दल उत्तर प्रदेश में बीजेपी का एक महत्वपूर्ण सहयोगी दल है और राज्य में कुर्मियों के बीच उसका काफी समर्थन है.
54 साल की शोभा कारंदलजे कर्नाटक के उडुपी-चिकमगलूर से सांसद हैं. कारंदलजे को नया कृषि राज्यमंत्री बनाया गया है. वो कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं. कारंदलजे शुरुआती दिनों से ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की करीबी मानी जाती हैं.
2004 विधानसभा चुनावों में बेंगलुरू के यशवंतपुर से जीतकर वो पहली बार विधायक बनी थीं. येदियुरप्पा सरकार में उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री बनाया गया था. येदियुरप्पा के बीजेपी से अलग होने के बाद कारंदलजे ने भी इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, बाद में येदियुरप्पा फिर बीजेपी के साथ आ गए, और कारंदलजे की भी बीजेपी में वापसी हो गई.
कारंदलजे अपनी टिप्पणियों के कारण विवादों में भी रह चुकी हैं. उनपर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के भी आरोप लगते रहे हैं.
2019 लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र के ढिंढोरी से जीतकर आईं डॉ भारती पवार को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें दिसंबर 2019 में सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद घोषित किया गया था. डॉक्टर से नेता बनीं भारती ने 2002 में पुणे यूनिवर्सिटी के NDMVP के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी की.
मंत्रिमंडल में 7 महिला मंत्रियों को शामिल करने करने को लेकर खूब वाहवाही बटोरी जा रही है लेकिन सच ये है कि टोटल मंत्रियों की संख्या के हिसाब से आज भी मंत्रिमंडल में सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं हैं. इससे ज्यादा प्रतिनिधित्व तो यूपी को मिला हुआ है. उन्हें कौन से पोर्टफोलियो मिले हैं, इस पर भी गौर करना चाहिए. स्मृति ईरानी से कपड़ा मंत्रालय वापस लेने को भी याद रखना चाहिए.
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