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2019 चुनाव से पहले मोदी सरकार ने देश में गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की. संविधान संशोधन का ये बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हुआ. राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन देश के कानून मंत्री ने कहा था कि, “ मैच जिताने वाला यह पहला छक्का नहीं है, अभी ऐसे और भी छक्के लगेंगे.” शायद इसी क्रम में उन्होंने गरीबों से जुड़ा एक और बड़ा कदम उठाने का फैसला ले लिया है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक केंद्र सरकार अब गरीबी रेखा(बीपीएल) से नीचे के लोगों के खातों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर का प्लान बना रही है. यानी सरकार अब गरीबों के खाते में सीधा यूनिवर्सल बेसिक इंकम डालेगी, साथ ही किसानों को भी डायरेक्ट इंवेस्टमेंट सपोर्ट मिलेगा.
सूत्रों के मुताबिक सरकार जल्द ही गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों के खातों में 2,500 प्रति महीना यूबीआई(यूनिवर्स बेसिक इंकम) की घोषणा कर सकती है.
सरकार अप्रैल से जून 2019 के लिए 32,000 करोड़ का बजट रखने जा रही है. सूत्रों का कहना है कि फायदा पाने वाले लोगों की संख्या इसी बात पर निर्भर करेगी कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सरकारी खजाने को कितना फंड देता है. एक अनुमान के मुताबिक देश की 27.5 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे आती है.
साल 2017 के इकनॉमिक सर्वे में इस योजना के बारे में सबसे पहले बात की गई थी. गरीबी को मिटाने के लिए के लिए चल रहे सोशल वैलफेयर प्रोग्राम का इस यूबीआई स्कीम को एक अच्छा विकल्प बताया गया था. राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भी ये स्कीम बीजेपी के मेनिफेस्टो का हिस्सा थी.
देश की 47 प्रतिशत आबादी किसानी से जुड़ी है. ऐसे में सरकार तेलंगाना के ‘रितु बंधू स्कीम’ को अपनाने के बारे में सोच रही है जहां एक एकड़ से कम जमीन रखने वाले किसानों को 4 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से डायरेक्ट खाते में पैसे मिलते हैं. ये पैसे दोनों फसलों के सीजन- रबी और खरीफ में मिलते हैं.
सूत्रों के मुताबिक अगर किसानों को डायरेक्ट पैसे मिलेंगे तो उन्हें बीज और खाद में मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया जाएगा. हालांकि इस स्कीम की साफ तस्वीर आगामी जुलाई महीने में ही पता लगेगी.
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