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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच करीब 5 घंटे तक मुलाकात हुई. इस दौरान करीब ढाई घंटे दोनों ने एक दूसरे के साथ बिताए. दोनों देशों के नेताओं ने मिलकर काम करने की इच्छा जताई और आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ एकजुट होने पर चर्चा भी की. साथ ही चीनी राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि वो भारत की तरफ से किए गए स्वागत से खुश हैं.
विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच जो बातचीत हुई वो ज्यादातर खाने की मेज पर हुई. गोखले ने कहा, ‘‘चर्चा काफी खुली और सौहार्दपूर्ण रही. दोनों नेता एकसाथ थे और बाकी के सभी प्रतिनिधि दूसरी जगह डिनर कर रहे थे. दोनों नेताओं ने अपनी सरकारों की प्राथमिकताओं और राष्ट्रीय विजन पर बात की. पीएम मोदी ने चर्चा के दौरान कहा कि उनका दूसरी बार चुनकर आना आर्थिक विकास की वजह से ही संभव हो पाया है.’’
पीएम नरेंद्र मोदी के फिर से चुनकर आने की बात को सराहते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आने वाले साढ़े 4 साल साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई.
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने विकास को प्राथमिकता देने पर बात की. खासतौर से व्यापार और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर बात की और कैसे भविष्य में व्यापार को बढ़ाया जा सकता है इस पर भी चर्चा की.’’
दोनों ही देशों में आतंकवाद और कट्टरता बड़ी चुनौतियां हैं. इस पर बात करते हुए दोनों देशों के नेताओं ने माना की चीन और भारत बहुत बड़े हैं और विविधता से भरे हुए हैं. कट्टरता दोनों देशों के लिए बड़ी चुनौती है और दोनों देश मिलकर कट्टरता और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे ताकि इससे दोनों देश के सामाजिक ताने बाने को कोई नुकसान न पहुंचे.
चीन के राष्ट्रपति भारत के स्वागत से खासा प्रभावित हुए. दोनों नेता इस इनफॉर्मल मुलाकात के दौरान ऐतिहासिक स्मारकों पर गए. पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को भगवान गणेश के मंदिर की महत्ता के बारे में भी बताया. ये दूसरा मौका था जब दोनों नेता अनौपचारिक तौर पर मिले थे. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी चीन के वूहान में पिछले साल गए थे.
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