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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने देश में साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों की जो तस्वीर पेश की है, वे काफी चौंकाने वाली है.
एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2015 में साइबर क्राइम के 11,592 मामले दर्ज किए गए, जबकि ठीक एक दशक पहले 2006 में साइबर क्राइम के सिर्फ 453 मामले दर्ज हुए थे. कुल मिलाकर 2006 के मुकाबले 2016 में साइबर क्राइम लगभग 26 प्रतिशत बढ़ा है.
एक दिसम्बर की रात को अचानक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल हैक होने की खबर आई. उनके हैंडल से भद्दी-भद्दी गालियां लिखी गईं. इसके कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस पार्टी का ट्विटर हैंडल भी हैक हो गया. कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को संसद में भी उठाया. लेकिन यह मामला किसी एक पार्टी या एक शख्स तक सीमित नहीं है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2006 से लेकर 2016 तक साइबर क्राइम के 36,000 केस दर्ज हुए, जिनमें 24,140 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. साल 2015 में ही 8,121 लोगों को साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया गया था, जो कि 2014 के मुकाबले 41 प्रतिशत ज्यादा है. साल 2014 में 5,752 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
एनसीआरबी की रिपोर्ट को देखें, तो पता चलता है कि धोखेबाजी और अवैध तरीके से धन कमाना साइबर क्राइम की सब से बड़ी वजह है. फाइनेंसियल वजहों से 2015 में साइबर क्राइम के 3,855 केस दर्ज हुए थे. फ्रॉड के 1,119 मामले, महिलाओं के अपमान से जुड़े 606 मामले दर्ज हुए थे, जबकि यौन शोषण के 588 मामले सामने आए थे.
उत्तर प्रदेश में भारत के कुल साइबर क्राइम के 19 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं. यूपी में 2,208 साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में केस दर्ज हुए. वहीं साइबर क्राइम में महाराष्ट्र (2,195) दूसरे नंबर पर है.
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