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महाराष्ट्र के पालघर में नेवी के सेलर सूरज कुमार दुबे की मौत का राज और गहरा होता जा रहा है. सूरज के परिवार ने उनकी मौत पर कुछ अहम सवाल खड़े किए हैं. जिससे ये मामला और भी पेंचीदा हो गया है. चेन्नई से अगवा हुए सूरज कुमार को 1400 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पालघर जिले के जंगल में लाकर क्यों जलाया गया इस बात से परिवार हैरान है.
इलाज के दौरान दम तोड़ने से पहले सूरज कुमार के दिए बयान के मुताबिक सूरज कुमार को चेन्नई एयरपोर्ट से अगवा किया गया. जिसके तीन दिनों बाद तलासरी के वेवजी जंगल मे उसे लाकर जला दिया गया. अपहरण करके उसके पास से दस लाख की मांग की गयी थी. मगर मांग पूरी न होने की वजह से उसके ऊपर अपहरणकर्ताओं ने पेट्रोल छिड़ककर उसे जला दिया. इसकी जांच के लिए पालघर पुलिस ने सौ लोगों की दस टीमें बनाकर जांच के लिए चेन्नई और झारखंड भेज दी है.
एक मोबाइल सूरज कुमार शेयर बाजार के लेन देन के लिए इस्तेमाल करता था. पुलिस के मुताबिक एक रिश्तेदार ने इस फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी. लेकिन जवाब नहीं मिला. ये नंबर 1 फरवरी के शाम 6 बजे तक चल रहा था, जिसके बाद बंद हो गया. लेकिन इस नंबर की जानकारी परिवार को नहीं थी. साथ ही चेन्नई एयरपोर्ट के बाहर सूरज कुमार काफी देर तक घूमते हुए सीसीटीवी में दिखा. पहले मेट्रो स्टेशन और फिर रेलवे स्टेशन के पास तक सूरज कुमार गया था जिसके बाद एक एसयूवी कार में बिठाकर उसे ले जाया गया है. जिस वजह से अपहरण की बात पर शक होता है.
पुलिस तफ्तीश में ये बात सामने आई है कि सूरज कुमार शेयर बाजार में निवेश करता था. उसने भोपाल और मुंबई की दो शेयर मार्केट कंपनियों में दो दिनों तक लगातार पैसों का ट्रांसफर किया था. उसके सैलरी अकाउंट मे साढ़े आठ लाख के लोन की जानकारी मिली है. इसी अकाउंट से उसने काफी शेयर ट्रेडिंग की थी. जिसमें आखिर में सिर्फ 302 रुपये बचे थे. इसके अलावा सूरज कुमार के दूसरे अकाउंट मे पाच हजार रुपये की राशि थी जो उसने 1 फरवरी को चेन्नई एयरपोर्ट के एक एटीएम से निकाली थी.
इन दोनों अकाउंट्स पर लगभग 23 लाख के कर्ज होने का दावा पुलिस ने किया है. ये भी बताया जा रहा है कि सूरज कुमार ने अपने सहकर्मियों और ससुराल के लोगों से कुल 15 लाख का कर्ज उठाया था. 1 जनवरी से महीने भर की छुट्टी पर घर आए सूरज की मंगनी 15 जनवरी 2021 को हुई थी.
सूरज दुबे कोयंबटूर में आईएनएल अग्रणी ट्रेनिंग स्कूल में कार्यरत थे. पालघर पुलिस ने तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 364, 392 और 34 के तहत मामला दर्ज कर किया है.
सूरज के भाई नीरज दुबे ने क्विंट को बताया कि-
नीरज आगे बताते हैं कि "सूरज जब 1 फरवरी को 8 बजे तक यूनिट नहीं पहुंचे, तब हमने अपने गृह थाना चैनपुर में सूरज की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई. उसके बाद पलामू SP ऑफिस ने सूरज की कॉल डिटेल निकाली. जिसमें सूरज की लास्ट लोकेशन 30 जनवरी को चेन्नई एयरपोर्ट मिली. उसके बाद से सूरज का कुछ पता नहीं चला.
लेकिन 5 फरवरी को अचानक शाम 4 बजे मम्मी के मोबाइल पर पालघर महाराष्ट्र पुलिस की कॉल आई कि सूरज दूबे जख्मी हालत में हमें यहां मिला है. वह बोलने की हालत में नहीं है. उसको इलाज के लिए अस्पताल भेज रहे हैं. आप अपने गार्जियन को यहां भेजिए. तब पापा पालघर गए. लेकिन रात एक बजे सूरज के मौत की सूचना मिली."
नीरज ने एक कॉल का जिक्र करते हुए बताया कि ‘जब हम सूरज को बस स्टैंड छोड़ने गए, तभी पापा के मोबाइल पर एक कॉल आई कि, "सूरज से बात कराइए, मेरा नाम धर्मेंद्र है, मैं सूरज के साथ ही काम करता हूं." पापा ने कहा कि सूरज रांची की बस पकड़ने के लिए चला गया है. लेकिन पापा को उस पर शक हुआ और उन्होंने पूछा कि मेरा नंबर आपको कैसे मिला, इस पर धर्मेन्द्र ने जवाब दिया कि यहां नंबर रहता है.
"कॉल डिटेल की खास बात यह है कि उसी धर्मेन्द्र कुमार के नंबर पर 30 जनवरी को सूरज से 13 बार मैसेज से बातचीत हुई है. अब हमारा शक इधर भी जा रहा है, अब यह जांच का विषय है कि क्या हकीकत है." नीरज दुबे ने बताया.
नीरज दुबे ने बताया कि “पालघर एसपी से मैंने पूछा कि सूरज ने कोई बयान दिया है क्या? इस पर वह कह रहे थे कि बयान दिया है कि तीन लड़कों ने मिलकर मुझे जलाया और एक का नाम इरफान है.”
सूत्रों की मानें तो पालघर जिले का डहाणु इलाका पैसे डबल करने वाले जादू टोना के लिए बदनाम है. ऐसे में कर्ज के बोझ में दबे सूरज कुमार को इसी इलाके में लाकर जलाए जाने का सुराग उसके मौत का कारण सामने ला सकता है, ऐसा पुलिस का मानना है. लेकिन इस बारे में फिलहाल कोई ठोस सबूत पुलिस के हाथ ना लगने से इसे अभी तक अधिकृत पुष्टि नहीं मिल पाई है. हालांकि झारखंड और नौसेना की पुलिस भी इस मामले की स्वतंत्र जांच कर रही है.
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