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रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका नामंजूर हो गई है. रिया को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने इसी हफ्ते गिरफ्तार किया था. रिया की गिरफ्तारी सुशांत की मौत से संबंधित ड्रग्स मामले में की गई है. 28 वर्षीय रिया को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की धारा 27A, 21, 22, 29 और 28 के तहत गिरफ्तार किया गया है.
रिया की गिरफ्तारी से पहले NCB ने रिया के तीन परिचितों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था, इनमें उसका भाई शोविक चक्रवर्ती भी शामिल था. इसके बाद ही रिया को गिरफ्तार किया गया. NCB ने इन लोगों के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम की धाराओं के तहत प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करने के सबूत होने का दावा किया है.
रिया की गिरफ्तारी के बाद NCB की चर्चा प्राइम टाइम मीडिया डिबेट्स में होने लगी है. इसलिए इसकी भूमिका, ट्रैक रिकॉर्ड और इस बात को जानना जरूरी हो जाता है कि क्या NCB ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर रिया को गिरफ्तार किया है या नहीं?
NCB ड्रग नीति निर्धारित और लागू करता है. NCB दूसरे देशों से होने वाले मादक पदार्थों के आयात, अन्य देशों को होने वाले निर्यात तथा देश के अंदर प्रतिबंधित मादक पदार्थों के इस्तेमाल और सेवन को रोकने में मुख्य भूमिका निभाता है. यह देश में अवैध रूप से होने वाले स्वदेशी मादक पदार्थों और दवाओं के व्यापार को भी रोकता है.
भारत ड्रग से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन का सदस्य रहा है और इनके प्रस्तावों पर हस्ताक्षर भी किए हैं, इसलिए इन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के प्रावधानों को लागू करना NCB की जिम्मेदारी है.
NCB के ट्रैक रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह बड़े मामलों की जांच अपने हाथों में ले लेता है और भांग, गांजा से संबंधित छोटे केस स्थानीय पुलिस के हवाले कर देता है.
NCB के एक पूर्व वरिष्ठ अफसर ने क्विंट को बताया, ''NCB के इतिहास से पता चलता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय और राज्यों के स्तर पर ड्रग की बड़ी सप्लाई चेन की लगातार निगरानी कर उसे तोड़ने का कार्य करता है. NCB जागरूकता शिविर भी चलाता है. हालांकि अब NCB ने प्रवर्तन एजेंसी के समान ही कार्य करना शुरू कर दिया है. गांजे की पुड़िया का पीछा करना उसका काम नहीं."
NCB आमतौर पर ड्रग्स के उपयोग के व्यक्तिगत मामलों में शामिल नहीं होता है, लेकिन रिया चक्रवर्ती के मामले में कुछ अलग ही लग रहा है.
5 सितंबर को NCB के उप महानिदेशक मुथा अशोक जैन ने कहा कि यह सामान्य रूप से उनके अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं था.
उन्होंने कहा कि आमतौर पर हम अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-राज्यीय कनेक्शन देखते हैं. हम बड़ी मछली की तलाश करते हैं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब हमें जानकारी मिल रही है और हम अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे.
भारत, गोल्डन क्रीसेंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान) और गोल्डन ट्रायंगल (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) के बीच स्थित है, जो दक्षिण एशिया में अवैध ड्रग्स के दो सबसे बड़े स्रोत हैं. ड्रग्स की तस्करी के लिए कुख्यात इन सप्लाई चेन का भारत के निकट होना NCB के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है. इस कारण उसे और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
NCB के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने क्विंट को बताया कि मणिपुर महत्वपूर्ण प्रवेश स्थानों में से एक है, जबकि मालवा, ग्वालियर, राजस्थान, गाजीपुर जैसे क्षेत्रों में अफीम का अवैध व्यापार चिंता का विषय है.
NCB की क्षमता सीमित है, क्योंकि उसके पास सीमित मात्रा में स्टॉफ है. छोटे मामलों पर ध्यान केंद्रित करने से इसके स्टॉफ और क्षमता पर असर पड़ता है.
अक्टूबर 2017 में आई डीएनए की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि NCB के पास उस समय 25 राज्यों में एक छोटी सी टीम थी. जिसमें प्रत्येक राज्य में 20 से 25 लोग थे. कुछ राज्यों में तो उसके कार्यालय भी नहीं थे, जिससे उसे काम करने में दिक्कत होती थी.
NCB का गठन मार्च 1986 में एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 4 (3) के तहत किया गया था.
NCB केंद्र सरकार के अधीन कार्य करता है, क्योंकि नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के नियंत्रण की जिम्मेदारी केंद्र के तहत आती है. देश के विभिन्न शहरों में इसके जोन और उप-जोन हैं. यह खुफिया जानकारी और डेटा एकत्र करने तथा उसका विश्लेषण करने के साथ-साथ कस्टम, राज्य पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है
वर्तमान में NCB के महानिदेशक राकेश अस्थाना हैं. अस्थाना केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के विशेष निदेशक रह चुके हैं. NCB गृह मंत्रालय के अंडर काम करता है.
हमने आपको बताया कि NCB को बडे़ रैकेट पर ध्यान देना चाहिए लेकिन विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के मुताबिक तस्करी के मामलों में गिरफ्तारी लगभग पहले जैसी ही हो रही है लेकिन निजी उपभोग के मामलों में गिरफ्तारियां बढ़ गई हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक निजी उपभोग में गिरफ्तारियों की संख्या वाकई में कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं.
विधि लीगल के मुताबिक 2018 में मुंबई में दर्ज 10,006 मामलों में से 9743 मामले निजी उपभोग से जुड़े थे जबकि महज 263 तस्करी के थे. 2017 में भी 12946 मामले निजी उपभोग के थे जबकि तस्करी के 298 मामले ही थे.
इन मामलों के जानकार एक व्यक्ति ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर क्विंट को बताया कि मुंबई में ड्रग्स के कुल खुलासों में गांजे की मात्रा कम है लेकिन गिरफ्तारियां ज्यादा. मतलब ये है कि बॉलीवुड सेलेब जो दूसरी गंभीर ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं वो बच जा रहे हैं और कमजोर लोग पकड़े जा रहे हैं.
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