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हाल के दिनों में देशभर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. लेकिन सरकार के पास इन घटनाओं को लेकर कोई स्पेसिफिक डेटा नहीं है. बुधवार को जब राज्यसभा में सरकार से सवाल किया गया कि क्या पिछले छह महीनों में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. इस पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा-
पिछले 6 महीनों से मॉब लिंचिंग के बढ़े मामलों पर पूछे जाने पर कैबिनेट मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा, 'संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य के विषय हैं.'
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अपराधों को रोकने, उनका पता लगाने, जांच करने और कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार हैं.
हाल ही में बीएसपी चीफ मायावती ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को लेकर गंभीर नहींहै. मायावती ने कहा कि इसकी जद में अब केवल दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग भी आ रहे हैं और पुलिस भी इसका शिकार बन रही है.
उन्होंने बीते शनिवार को एक बयान में कहा, ''अब ये घटनाएं काफी आम हो गई हैं और देश में लोकतन्त्र के हिंसक भीड़ तन्त्र में बदल जाने से सभ्य समाज की चिन्ता बढ़ी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किये हैं, लेकिन इस मामले में भी केन्द्र और राज्य सरकारें कतई गम्भीर नहीं हैं जो दुःख की बात है.''
मॉब लिंचिंग की घटनाओं के मद्देनजर राज्य विधि आयोग ने सलाह दी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाए. आयोग ने एक प्रस्तावित विधेयक का मसौदा भी तैयार किया है. राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) ए.एन. मित्तल ने भीड़ हिंसा पर अपनी रिपोर्ट और प्रस्तावित विधेयक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुधवार को सौंपा.
आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि ''ऐसी घटनाओं के मद्देनजर आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए भीड़ तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है.''
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