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साल 2014 से 2018 के बीच 5 वर्षों के दौरान हादसों और खुदकुशी में करीब 2,200 सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) कर्मियों की मौत हुई है, लेकिन अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक हाल के वर्षों में इस तरह के घटनाओं की संख्या के सालाना आंकड़ों में कमी आई है.
एनसीआरबी ने जब पहली बार सीएपीएफ से जुड़े ऐसे मामलों का डेटा एकत्र किया था, तो साल 2014 में मौत से जुड़ी 1,232 दुर्घटनाएं हुई थी और खुदकुशी के आंकड़ें 175 थे. वहीं, साल 2015 में दुर्घटनाओं से संबंधित मौतों की संख्या 193 थी, 2016 में 260 और 2017 में 113 थी, जबकि खुदकुशी के 2015 में 60, 2016 में 74 और 2017 में 60 मामले दर्ज किए गए थे.
एनसीआरबी ने कहा कि सीएपीएफ कर्मियों की आकस्मिक मौतों के विश्लेषण से पता चला है कि 2018 में सेना ने सबसे अधिक कार्रवाई की है, जिसमें 'किल्ड इन एक्शन या ऑपरेशन या एनकाउंटर' के तहत 33 कर्मियों की मौत हुई हैं. दूसरे कारणों से 22 मौत, जबकि सड़क या रेल दुर्घटनाओं में 21 मौतें हुई है. वहीं, प्राकृतिक और फ्रेट्रिसाइड के कारण 4 कर्मियों की मौत हुई.
एनआरसीबी की नई रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी 2018 को, सीएपीएफ में 9,29,289 कर्मियों की ताकत थी, एनसीआरबी ने पांच बलों - सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सशस्त्र सीमा बल (SSB) के अलावा असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के आंकड़ों को शामिल किया है. ये सुरक्षा बल केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करते हुए, सीएपीएफ सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के रखरखाव में केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता करने और गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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