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कैराना पर NHRC की रिपोर्टः डर के चलते हुआ हिंदू परिवारों का पलायन

मानवाधिकार आयोग ने यूपी के प्रमुख सचिव और डीजीपी को भेजी जांच रिपोर्ट.

द क्विंट
भारत
Published:
मुज्जफरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी सांसद हुकुम सिंह और सीएम अखिलेश यादव. (फोटोः द क्विंट)
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मुज्जफरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी सांसद हुकुम सिंह और सीएम अखिलेश यादव. (फोटोः द क्विंट)
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ये हैं कैराना से पलायन की वजहः

  • हिंदू परिवारों की महिलाओं के साथ दूसरे समुदाय की ओर से छेड़छाड़.
  • डर की वजह से पुलिस तक नहीं पहुंचते थे पीड़ित परिवार.
  • आयोग ने माना स्थानीय पुलिस ने शिकायत का बावजूद नहीं की कार्रवाई.
  • हिंदू व्यापारियों से अवैध उगाही की मांग.
  • लूटपाट और मारपीट की घटनाओं के चलते पलायन को मजबूर.

नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन(NHRC) ने एक जांच रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते बताया है.

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद क्षेत्र में कानून व्यवस्था बदतर हो गई. लिहाजा, धमकियों और बढ़ते अपराधों को देखते हुए हिंदू परिवार पलायन को मजबूर हो गए.  

इसी साल जून में बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ऐसे 346 लोगों की सूची जारी की थी जिन्होंने ‘एक समुदाय विशेष’ के उगाही करने और सुरक्षा खतरों की वजह से कैराना छोड़ा था.

NHRC ने मांगा जवाब

NHRC ने जांच टीम की रिपोर्ट पर यूपी के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक और सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है. जांच दल की सिफारिशों और टिप्पणियों पर आयोग ने प्रदेश सरकार समेत अन्य को आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है.

जांच में सामने आई प्रशासन की लापरवाही

जांच टीम ने इस मामले से संबंधित गवाहों, पीड़ितों, पुलिस अधिकारों के अलावा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की है.

शामली और कैराना के जिलाधिकारी और एसपी कई मौकों पर पुलिस फोर्स भी नहीं मुहैया करा सके. इससे दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा और कमजोर पक्ष पलायन करने पर मजबूर हुआ. पुलिस की लापरवाही से अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए. लिहाजा, खासतौर पर तीन रिहायशी इलाकों में रह रहे 364 परिवारों ने पलायन किया.  

रिपोर्ट में कहा गया है कि पलायन करने वाले कई परिवारों के लोगों ने कैराना छोड़ने का कारण उनके परिवारों को परेशान किया जाना बताया. साथ ही यह भी पता चला कि दो प्रमुख व्यवसायियों समेत करीब छह लोगों ने उगाही की धमकियों के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा की मांग भी की थी.

सुप्रीम कोर्ट की वकील ने दर्ज कराई थी शिकायत

सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका ने मानवाधिकार आयोग में कैराना मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. मोनिका ने अपने एनजीओ के जरिए यह शिकायत की थी. इसके बाद आयोग ने इस मामले में एक जांच कमिटी का गठन किया था. मानवाधिकार आयोग की कमिटी में एक डिप्टी एसपी और तीन इंस्पेक्टर शामिल थे.

जांच कमिटी ने कैराना के अलावा शामली, पानीपत, मुजफ्फरनगर जाकर अपनी जांच की. साथ ही कैराना से पलायन करने वाले परिवारों से फोन पर भी जानकारी ली.

बीजेपी सांसद ने उठाया था कैराना मुद्दा

बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने सबसे पहले कैराना मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि कैराना में कश्मीर जैसे हालात हो गए हैं. बीते जून महीने में हुकुम सिंह ने कहा था कि कैराना के एक गांव जहानपुरा में पहले 60 से अधिक हिंदू परिवार थे लेकिन अब वहां एक भी हिंदू परिवार नहीं है.

हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना से पलायन का सिलसिला पिछले कुछ समय से लगातार जारी है. उन्‍होंने भी कैराना से पलायन के पीछे हफ्ता वसूली, रंगदारी, हत्या और महिलाओं से छेड़छाड़ और रेप की घटनाओं को वजह बताया था.

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