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दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल के चेयरमैन और मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र कौल को एनआईए ने पूछताछ के लिए बुलाया था. डॉ कौल पर शक था कि वो अलगाववादी नेता यासीन मलिक के करीबी हैं लेकिन डॉ. कौल ने ये साफ किया है कि उनका यासीन मलिक के साथ रिश्ता महज एक डॉक्टर और मरीज का है. इससे पहले द क्विंट से बात करते हुए एनआईए ने इस बात की पुष्टि की थी कि डॉ. कौल से टेरर फंडिंग मामले में पूछताछ की जा रही है.
डॉ. कौल ने बातचीत के दौरान कहा कि अगर कोई अपराधी इलाज के लिए आता है तो उसे थप्पड़ नहीं मारा जाता या उससे ये नहीं पूछा जाता कि तुमने ऐसा क्यों किया? डॉ. कौल ने इस बात पर भी जोर दिया कि वो बस अपना काम कर रहे थे और उन्होंने 'यासीन मलिक को गले नहीं लगाया.'
डॉ. कौल ने बताया कि एनआईए को उनके और यासीन मलिक के बीच टेक्स्ट मैसेज पर हुई बातचीत में INR (ब्लड टेस्ट) के जिक्र को लेकर भी कन्फ्यूजन थी. डॉ. कौल ने बताया INR एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब इंटरनेशनल नॉर्मलाइज्ड रेश्यो होता है.
कश्मीर मुद्दे पर बात करते हुए डॉ कौल ने बताया कि देश धारा 370 के हटाए जाने का समर्थन कर रहा है लेकिन ये तो वक्त ही बताएगा कि ये फैसला सही है या नहीं. साथ ही ये भी कहा कि एनआईए को जिस पर शक होता है वो उस शख्स को समन जारी कर बुलाता ही है.
डॉ. कौल के गिरफ्तार होने की खबर के बाद एनआईए का एक अज्ञात नोटिस सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इस नोटिस में डॉ. कौल को बताया जा रहा है कि ‘‘एनआईए जिस केस की जांच कर रही है इसके बारे में आपको पता था.’’
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता, डॉ. समीर कौल को भी NIA ने इस महीने की शुरुआत में अनौपचारिक बातचीत के लिए बुलाया था.
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. कौल हाल ही में NDTV के एक टॉक शो में शामिल हुए थे, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाने की आलोचना की थी. घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का जिक्र करते हुए, डॉ. कौल ने कहा कि 1990 में जो हुआ वो 'बुरा' था और इसमें उनके बहुत से रिश्तेदारों को वहां भगा दिया गया है.
फिर, कश्मीर के मौजूदा हालातों पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने पूछा, 'क्या ये बदला है? 1992 में क्या हुआ था, क्या अब हम कश्मीरी मुस्लिमों से बदला ले रहे हैं या कश्मीरियों से?'
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