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बेंगलुरु हिंसा: UAPA के तहत दर्ज हुए दो मामलों की जांच करेगा NIA

11 अगस्त को हुई भीड़ की हिंसा डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर शुरू हुई थी

द न्यूज मिनट
भारत
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11 अगस्त को हुई भीड़ की हिंसा डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर शुरू हुई थी
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11 अगस्त को हुई भीड़ की हिंसा डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर शुरू हुई थी
(फोटो: अरुण देव/क्विंट हिंदी)

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नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 22 सितंबर को कहा कि वो 11 अगस्त को पूर्वी बेंगलुरु में हुई हिंसा से संबंधित दो आपराधिक मामलों की जांच करेगी. ये दो मामले डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस स्टेशनों में UAPA के तहत दर्ज हैं. अपने बयान में NIA ने बताया कि एजेंसी ने इन दोनों मामलों को गृह मंत्रालय के आदेश के आधार पर दोबारा अपने पास दर्ज किया है.

NIA ने बताया कि जांच के लिए इंस्पेक्टर जनरल रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम उनके बेंगलुरु ऑफिस में है.

NIA के जांच करने की बात उस याचिका के बाद सामने आई है, जो बेंगलुरु में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यकर्त्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट में दायर की थी. इसमें हिंसा के मामलों की जांच NIA को देने की मांग की गई थी.

11 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में कर्नाटक अधिवक्ता जनरल प्रभुलिंग के नवादगी ने बताया था कि राज्य के एडिशनल मुख्य सचिव (गृह विभाग) ने केंद्रीय गृह सचिव को 3 सितंबर को दो मामले में UAPA लगाने के संबंध में पत्र भेजा था.

11 अगस्त को हुई भीड़ की हिंसा डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर शुरू हुई थी और फिर करीब के केजी हल्ली पुलिस स्टेशन के इलाके तक फैल गई थी. हिंसा को काबू करने के लिए पुलिस ने गोली चलाई थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था, लेकिन पहली मेडिकल कंडीशन की वजह से उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी. स्थानीय विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन की एक भड़काऊ और सांप्रदायिक सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से भीड़ इकट्ठा हुई थी. विधायक के घर को जला दिया गया था और डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में भी आगजनी हुई थी. कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया था.

तब से अब तक पुलिस ने 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के कार्यकर्ता और कांग्रेस पार्षदों के साथी मौजूद हैं. आरोपियों में वो लोग भी शामिल हैं, जिन पर आतंक के मामलों में आरोप लग चुके हैं.  

सेंट्रल क्राइम ब्रांच जांच और गिरफ्तारियां कर रही थी. इसके अलावा सरकार ने बेंगलुरु अर्बन डिप्टी कमिश्नर जीएन शिवमूर्ति के नेतृत्व में मजिस्ट्रियल जांच के भी आदेश दिए थे.

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