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ये कुछ अहम सुर्खियां हैं, जो भगोड़े ज्वैलर नीरव मोदी ने पिछले कुछ दिनों के दौरान भारतीय मीडिया में बटोरी हैं. नीरव मोदी का नाम फरवरी के महीने से ही लगातार सुर्खियों में है, जब पहली बार खुलासा हुआ था कि उसने और उसके मामा मेहुल चोकसी ने घोटाला करके पंजाब नेशनल बैंक में जमा हजारों करोड़ रुपये हड़प लिए हैं.
आइए देखते हैं कि तब से अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ है:
जैसा कि ऊपर दी गई पहली हेडलाइन से साफ है, नीरव मोदी की कंपनियां भारत ही नहीं, दूसरे देशों में भी संकट में घिरी हुई हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बेल्जियम के एंटवर्प की एक कमर्शियल कोर्ट ने नीरव मोदी की फर्म फायरस्टार डायमंड BVBA को दिवालिया घोषित कर दिया है. अखबार के मुताबिक, रूस, आर्मेनिया और दक्षिण अफ्रीका की तीन कंपनियों का नियंत्रण फायरस्टार डायमंड के पास है. एंटवर्प की अदालत ने इस कंपनी के लिक्विडेशन के लिए एक्सपर्ट भी नियुक्त कर दिए हैं.
नीरव मोदी की कंपनियां भले ही संकट में हों, लेकिन मीडिया में आ रही खबरों से लगता है कि खुद नीरव मोदी पर अब तक कोई बड़ी आंच नहीं आई है. एनडीटीवी की सूत्रों पर आधारित जिस खबर का जिक्र हमने ऊपर दूसरी हेडलाइन में किया है, उसके मुताबिक नीरव मोदी अब भी भारतीय पासपोर्ट पर बड़े मजे से अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर रहा है, जबकि भारत सरकार उसका पासपोर्ट रद्द करने का ऐलान फरवरी में ही कर चुकी है.
इसी खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नीरव मोदी ने 1 जनवरी को ही भारत छोड़ दिया था. वो मुंबई से पहले यूएई, फिर हॉन्गकॉन्ग और फिर लंदन गया. मार्च के महीने में उसने ब्रिटेन भी छोड़ दिया और फिलहाल वो अमेरिका के न्यूयॉर्क में है.
एनडीटीवी की इस खबर में उसकी यात्राओं से जुड़ी अहम तारीखें भी बताई गई हैं. इसके मुताबिक, नीरव मोदी 2 फरवरी को यूएई से हॉन्गकॉन्ग गया और 14 फरवरी को उसने वो ठिकाना भी छोड़ दिया.
नीरव मोदी के 14 फरवरी को हॉन्गकॉन्ग से रवाना होने की खबर दिलचस्प है, क्योंकि संसद में दिए लिखित जवाब के मुताबिक, भारत सरकार ने 23 मार्च को हॉन्गकॉन्ग से अनुरोध किया था कि नीरव मोदी को गिरफ्तार करके हमारे हवाले किया जाए. यानी एनडीटीवी की खबर अगर सच है, तो भारत सरकार के ये अनुरोध करने से पहले ही नीरव मोदी हॉन्गकॉन्ग से रफूचक्कर हो चुका था.
अगर ऐसा है, तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का 12 अप्रैल का वो बयान भी हैरान करने वाला है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हॉन्गकॉन्ग सरकार नीरव मोदी को गिरफ्तार करके सौंपने के भारत सरकार के अनुरोध पर अब भी विचार कर रही है!
अब जरा फाइनेंशियल एक्सप्रेस की उस खबर पर गौर कीजिए, जो हमने ऊपर तीसरी हेडलाइन के तौर पर दी है. इस खबर में बताया गया है कि पंजाब नेशनल बैंक अब तक नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के घोटालों से जुड़े 1.9 अरब डॉलर (12,680 करोड़ रुपये) के फर्जी LoU यानी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग का भुगतान कर चुका है. ये जानकारी खुद बैंक के प्रमुख सुनील मेहता ने दी है.
यानी नीरव मोदी और उसके मामा ने जो फर्जीवाड़ा किया, अब उसकी कीमत एक सरकारी बैंक को चुकानी पड़ रही है. ये रकम चाहे बैंक अपने संसाधनों से अदा करे या सरकार से मिलने वाली मदद के जरिये चुकाए, इसका बोझ आखिरकार तो जनता पर ही पड़ना है.
ध्यान रहे कि पंजाब नेशनल बैंक को घटते मुनाफे के चलते 2013-14 से लगातार सरकारी मदद मिलती रही है. 2017-18 में भी केंद्र सरकार पीएनबी को पूंजी के रूप में 5473 करोड़ रुपये की मदद दे चुकी है. ऐसे में सुनील मेहता के इस बयान का कोई खास मतलब नहीं है कि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले की रकम का भुगतान सरकारी मदद के बिना, अपने संसाधनों से करेगा.
अब जरा गौर फरमाइए द इकनॉमिक टाइम्स की उस हेडलाइन पर, जो हमने ऊपर चौथे नंबर पर दी है. ये खबर बता रही है कि नीरव मोदी के घोटाले की वजह से आज IPO बाजार में अकाल जैसी हालत है.
जाहिर है, ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पीएनबी घोटाले की वजह से निवेशकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. घोटाला सामने आने से पहले 12 फरवरी, 2018 को पीएनबी का शेयर 161 रुपये 65 पैसे पर बंद हुआ था, जो 27 अप्रैल तक गिरकर 93 रुपये 50 पैसे पर आ चुका था. इस दौरान बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 39,210 करोड़ रुपये से घटकर 25,783 करोड़ रुपये रह गया. इसमें निवेशकों के करीब साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये डूब गए.
मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स के जिस शेयर का भाव 12 फरवरी को 62 रुपये 85 था, उसे आज सवा तीन रुपये में भी खरीदार मिलना मुश्किल है. निवेशकों का ये नुकसान ऐसा है, जिसकी भरपाई कोई नहीं करने वाला.
इस बीच नीरव मोदी अमेरिका के न्यूयॉर्क में अपनी प्रमुख कंपनी फायरस्टार डायमंड इनकॉरपोरेडेट और उसकी दो अन्य सहयोगी कंपनियों को दिवालिया घोषित करवाने का एप्लीकेशन दाखिल कर चुका है. उसने ये कदम इसलिए उठाया, क्योंकि अमेरिकी कानूनों के मुताबिक दिवालियेपन का एप्लीकेशन देने वाली कंपनी को बकाया रकम चुकाने के लिए लेनदार तंग नहीं कर सकते.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, नीरव मोदी ने ये एप्लीकेशन 26 फरवरी, 2018 को ही दाखिल कर दिया था. 29 मार्च को अमेरिकी कोर्ट ने उसे अपनी संपत्तियां नीलाम करने की इजाजत भी दे दी. ऐसी खबरें भी छपी हैं कि कोर्ट के आदेश पर नीलामी की प्रक्रिया 5 मई को शुरू होने वाली है.
अमेरिका में नीरव मोदी की कंपनियों को दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया को पहले भारतीय बैंकों ने और कुछ दिन पहले भारत सरकार ने भी चुनौती देने की प्रक्रिया शुरू की है. कुछ खबरों के मुताबिक, उनके पास इसके लिए 8 मई तक का वक्त है.
हालांकि कानून के जानकारों के मुताबिक, अभी ये बता पाना मुश्किल है कि उनकी ये कोशिश अमेरिकी कानूनों के तहत कितनी सफल हो पाएगी.
अब जरा संक्षेप में नजर डाल लेते हैं घोटाले से जुड़ी कुछ अहम घटनाओं और उनकी तारीखों पर:
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