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निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को कोर्ट के आदेश के मुताबिक 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी. लेकिन देश में बीते करीब तीन दशक के फांसी के इतिहास पर नजर डाली जाए तो साल 1991 से अब तक 16 मुजरिमों को फांसी के फंदे पर लटकाया जा चुका है. इनमें 14 साल की लड़की के बलात्कारी-हत्यारे धनंजय चटर्जी से लेकर याकूब मेमन और अफजल गुरु तक शामिल हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, अगर सिर्फ बीते 20 साल पर नजर डाली जाए, तो इन दो दशकों में 4 लोगों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया. इनमें से एक धनंजय चटर्जी 14 साल की लड़की का बलात्कारी और हत्यारा था. बाकी तीनों मुजरिम आतंकवाद से जुड़े थे.
इसके बाद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड अजमल कसाब 21 नवंबर 2012 को फांसी पर पुणे की यरवदा जेल में लटकाया गया. उस पर आरोप था कि उसने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में एक ही जगह पर कई लोगों की हत्या कर दी थी. कसाब पाकिस्तानी मूल का था. उसे फांसी चढ़ाने में करीब 4 साल का वक्त लगा था.
अजमल कसाब के बाद फांसी पर चढ़ने का नंबर आया भारतीय संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु का. 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए हमले का मास्टरमाइंड अफजल ही था. अफजल को फांसी पर लटकाने में 11 साल का वक्त लगा. आखिरकार 9 फरवरी, 2013 को अफजल को फांसी के फंदे पर तिहाड़ जेल में लटका दिया गया.
अफजल के बाद अब यह दूसरा मामला है, जिसमें अदालत ने तिहाड़ में बंद निर्भया हत्याकांड के चारों मुजरिमों को फांसी पर लटकाने की फरमान मंगलवार 7 जनवरी, 2020 को जारी किया. तिहाड़ जेल सहित हिंदुस्तान की तमाम जेल के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है जब, तिहाड़ के फांसीघर में एक साथ 4 मुजरिमों को फांसी के फंदे पर लटकाने का आदेश जारी हुआ हो.
अफजल गुरु के बाद 30 जुलाई, 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब मेमन को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था. याकूब पर 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों को कराने का आरोप था. याकूब पर फांसी के फंदे पर ले जाने में 22 साल का लंबा वक्त लगा था.
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