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निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी होगी या नहीं, आज सुनवाई

निर्भया रेप केस के दोषियों के डेथ वारंट पर एक बार फिर सुनवाई

क्विंट हिंदी
भारत
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निर्भया रेप केस के दोषियों के डेथ वारंट पर एक बार फिर सुनवाई
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निर्भया रेप केस के दोषियों के डेथ वारंट पर एक बार फिर सुनवाई
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी तय तारीख और समय पर ही होगी या नहीं ये आज साफ हो जाएगा. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज दोषी मुकेश की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उसने डेथ वारंट रद्द करने की मांग की है. दोषी का कहना है कि उसकी दया याचिका अभी तक राष्ट्रपति के पास लंबित है. इसीलिए उसका डेथ वारंट अभी जारी नहीं किया जा सकता है. याचिका खारिज होने के बाद ही डेथ वारंट जारी किया जाए.

इससे पहले दोषी मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यही मांग की थी. उसका कहना था कि उसे अभी फांसी नहीं होनी चाहिए. क्योंकि राष्ट्रपति ने अभी तक याचिका खारिज नहीं की है.

दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि उसे निचली अदालत में याचिका दायर करनी चाहिए. जिसके बाद डेथ वारंट जारी करने पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट एक बार फिर सुनवाई करेगा. 
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तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा- 22 को फांसी नहीं

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार-तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से कहा गया कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती है. इसके लिए जेल के नियमों का हवाला दिया गया. कहा गया कि दोषी ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई है. अभी तक उस याचिका को खारिज नहीं किया गया है. नियमों के मुताबिक दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही दोषियों को फांसी दी जा सकती है.

निर्भया के दोषियों का डेथ वारंट जारी होने के बाद अब वो हर पैंतरा आजमाने की कोशिश कर रहे हैं. दोषियों की तरफ से लगातार याचिकाएं दायर हो रही हैं. जिससे मामला और खिंचता चला जा रहा है. इस पर निर्भया की मां भी कई बार सवाल उठा चुकी है. 

बता दें कि इससे पहले निर्भया के दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई की. इस बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण का नाम शामिल थे. बता दें कि दोषियों ने बचने के लिए कई तरह की दलीलें दीं. एक दोषी ने अपनी क्यूरेटिव पिटीशन में युवावस्था का हवाला देते हुए माफी की अपील की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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