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निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह 5:30 बजे फांसी होना अब लगभग तय है. पटियाला हाउस कोर्ट के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दोषियों की याचिका खारिज कर दी है. दोषियों ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी दलील थी कि अभी डेथ वारंट पर रोक लगा दी जाए. लेकिन हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया. हालांकि दोषी फांसी से पहले सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं.
हाई कोर्ट ने दोषियों के वकील से कहा कि इस अपील के साथ कोई हलफनामा और दूसरे पक्ष को दिया गया नोटिस शामिल नहीं है, क्या आप के पास याचिका दायर करने की इजाजत थी. इस पर वकील एपी सिंह ने जवाब दिया, "कोरोनावायरस की वजह से फोटोकॉपी मशीन नहीं चल रही थी."
कोर्ट ने इस बात पर वकील से कहा,
हाईकोर्ट ने कहा है कि दोषी अक्षय की बीवी की तलाक याचिका फांसी पर रोक लगाने के लिए प्रासंगिक नहीं है. वकील ने कोर्ट से कहा है कि दोषियों की एक याचिका NHRC में लंबित है तो ऐसे में फांसी कैसे हो सकती है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फांसी पर फैसला आ चुका है, अब हम उसकी समीक्षा नहीं कर सकते. कोर्ट ने वकील से ये भी कहा कि आप कानूनी बातों पर ही बहस करें, हमें आपके तर्क नहीं समझ पा रहे हैं.
कोर्ट ने दोषियों के वकील से कहा, "समय निकलता जा रहा है. अब आपके मुवक्किल का भगवान से मिलने का समय आ गया है. हम आखिरी समय में आपकी मदद नहीं कर सकते. आपके पास 4-5 घंटे हैं. आपके पास कोई तर्क है तो दीजिए." कोर्ट ने आगे कहा-
निर्भया के दोषियों की फांसी पिछले दो महीनों में तीन बार टाली गई है. हर बार दोषियों की तरफ से किसी न किसी याचिका का हवाला दिया गया और कोर्ट को फांसी टालनी पड़ी. कोर्ट की तरफ से जारी डेथ वारंट पर सबसे ज्यादा असर दोषियों की दया याचिका का हुआ. क्योंकि नियम था कि दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही दोषी को फांसी हो सकती है. लेकिन अब दोषियों का हर विकल्प खत्म हो चुका है. कोई भी ऐसी याचिका नहीं है, जिसके आधार पर फांसी टाली जा सकती थी. इसीलिए पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने और उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
निर्भया के दोषियों की फांसी के लिए तिहाड़ जेल में पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. जल्लाद पहले ही तिहाड़ पहुंच चुका है. दोषियों को कोर्ट के आदेश के मुताबिक सुबह 5:30 बजे फांसी पर लटका दिया जाएगा.
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