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निर्भया गैंगरेप मामले में तीसरी बार चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी किया गया है. पिछले कई महीनों से चारों की फांसी की बात हो रही है. डेथ वारंट भी जारी किए गए, लेकिन हर बार कानूनी दांव-पेंच के चलते दोषी फांसी टलवाने में कामयाब रहे. अब नए डेथ वारंट के मुताबिक चारों दोषियों को 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. लेकिन सबके मन में अब फिर सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में दोषियों को तय तारीख पर ही फांसी होगी?
अब बात करते हैं कि क्या वाकई में 3 मार्च को चारों दोषी फांसी के फंदे पर लटका दिए जाएंगे? इसका जवाब सीधे हां में नहीं हो सकता है. क्योंकि अब भी एक विकल्प ऐसा है जो इस तारीख को आगे बढ़ा सकता है. चारों में से एक दोषी पवन गुप्ता के पास दया याचिका का विकल्प बाकी है. जिसका वो कभी भी इस्तेमाल कर सकता है. वहीं उसने अब तक क्यूरेटिव पिटीशन भी दायर नहीं की है.
हम यहां फांसी टाले जाने की संभावनाओं को लेकर बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि नियम ये कहते हैं कि एक केस के सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है. इस नियम को लेकर केंद्र सरकार ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने का प्रावधान हो. लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. जिसके बाद केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर फैसला नहीं सुनाया है.
निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की चर्चा जनवरी में शुरू हुई थी. जब पहला डेथ वारंट जारी किया गया था. 22 जनवरी की तारीख तय थी, लेकिन 17 जनवरी को राष्ट्रपति के पास याचिका लंबित होने की दलील के बाद इसे टाल दिया गया.
निर्भया के दोषियों को फांसी का दूसरा डेथ वारंट भी जारी हुआ. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 2 फरवरी को दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. लेकिन फांसी की तारीख नजदीक आते ही कुछ ही घंटे पहले कोर्ट ने फांसी को टाल दिया.
अब ये पूरा गणित समझने के बाद नजर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर होगी, जिसमें चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की मांग की गई है. अगर हाईकोर्ट की तरह सुप्रीम कोर्ट भी इस याचिका को खारिज कर देता है तो फिर मामला फंस सकता है. ये कहा जा सकता है कि 3 मार्च को फांसी होना मुश्किल है. लेकिन अगर अलग-अलग फांसी पर कोर्ट मान जाता है तो तीन दोषियों का फांसी के फंदे पर लटकना तय है.
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