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इक्वाडोर सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि उसने दुष्कर्म और अपहरण के मामले में आरोपी स्वयंभू संत नित्यानंद को शरण दी है. इक्वाडोर की सरकार ने इस बात से भी इनकार किया कि उन्होंने नित्यानंद को दक्षिण अमेरिकी देश में जमीन खरीदने में किसी भी तरह की मदद की है.
इक्वाडोर सरकार का बयान ऐसे समय आया है, जब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने नित्यानंद का पासपोर्ट रद्द कर दिया है और अपने सभी विदेशी दूतावासों को उसके आवाजाही पर नजर रखने के लिए ‘अवगत’ करा दिया है.
इक्वाडोर के मुताबिक नित्यानंद उनके देश 5 जुलाई 2018 को बतौर पर्यटक आया और उनसे इंटरनेशनल प्रोटेक्शन स्टेटस के लिए आवेदन किया. नित्यानंद को उसकी मांग पर 19 अक्टूबर 2018 को अस्थायी वीजा दिया गया. यूनाइटेड किंगडम में इक्वाडोर के राजदूत ने गार्जियन को बताया कि-नित्यानंद की अर्जी को सुनते हुए इक्वाडोर के नेशनल कमीशन ने नित्यानंद को शरणार्थी का दर्जा देने से मना कर दिया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने नित्यानंद के दावे वाले 'हिंदू राष्ट्र कैलाशा' पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब मंत्रालय को नित्यानंद के मामलों के बारे में सूचित किया गया तो मंत्रालय ने उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया.
नित्यानंद का असली नाम राजशेखरन है और वह तमिलनाडु का रहने वाला है. उसने सन 2000 की शुरुआत में बेंगलुरू के पास एक आश्रम खोला था. कहा जाता है कि उसकी 'शिक्षाएं' ओशो रजनीश की शिक्षाओं पर आधारित होती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नित्यानंद के खिलाफ फ्रांस के अधिकारी भी चार लाख डॉलर के कथित धोखाधड़ी मामले में जांच कर रहे हैं.
बीते महीने, नित्यानंद के खिलाफ उसके अहमदाबाद स्थित आश्रम से दो लड़कियों के लापता होने के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
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