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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 20 फरवरी को नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की छठी बैठक आयोजित की गई. इसमें वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए. बैठक में कुमार ने जहां गन्ना रस से एथेनॉल उत्पादन प्रारंभ किए जाने पर खुशी व्यक्त की, तो वहीं बिजली आपूर्ति के लिए सभी राज्यों की एक दर करने की भी मांग उठाई.
नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो अलग-अलग राज्यों में बिजली जाती है, उसका रेट भी अलग-अलग है.
नीतीश ने कहा, "बिजली के क्षेत्र में हम लोगों ने कई काम बिहार में शुरू किए हैं. वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में ही हर घर बिजली हमलोगों ने पहुंचा दी है."
नीतीश ने कहा कि बिजली का दुरुपयोग होने से पर्यावरण के लिए भी संकट पैदा होता है.
बिहार में पिछले सात साल में बिजली की उपलब्धता 226 प्रतिशत बढ़ी है. इससे राज्य में 2012-13 में जहां प्रति व्यक्ति बिजली उपलब्धता मात्र 145 किलोवाट प्रति घंटा थी, वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 332 मेगावट हो गई है.
बिहार में बिजली उपलब्धता बढ़ने का परिणाम है कि वर्ष 2012-13 में बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 145 किलोवाट प्रति घंटे थी, जो 2019-20 में 332 किलोवाट प्रति घंटे हो गई. सर्वेक्षण में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में राज्य में 18,84़5 करोड़ यूनिट बिजली खपत हुई थी, जबकि 2019-20 में 28,98़8 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई.
आकलन के मुताबिक, 2022-23 तक राज्य में 29,50़8 करोड़ यूनिट बिजली खपत होने का अनुमान है.
(इनपुट: IANS)
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