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बेरोजगारी को लेकर आए नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के आंकड़ों के बाद देशभर में चर्चा जारी है. विपक्ष, मोदी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर फेल होने को लेकर लताड़ रहा है. इस सर्वे के मुताबिक देश में रोजगार की हालत पिछले 45 सालों में सबसे खराब है. NITI आयोग की तरफ से वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने सफाई पेश की. आयोग की दलील है कि NSSO रिपोर्ट अभी फाइनल नहीं है. ऐसे में इस पर बहस करना और इसके आधार पर अर्थव्यवस्था की खामियां गिनाना गलत होगा.
बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने ये रिपोर्ट छापी है. ये वही रिपोर्ट है जिसे जारी ना करने को लेकर केंद्र सरकार विवादों में है. रिपोर्ट जारी ना करने पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के दो सदस्यों ने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर ग्रामीण पुरुषों और महिलाओं की बात करें तो बेरोजगारी 17 फीसदी और 13.6 फीसदी है जो 2011-12 में 5 फीसदी और 4.8 फीसदी थी. NSSO का ये सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया है. इस सर्वे की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में आने और नोटबंदी अमल में लाने के बाद का पहला सर्वे है जो देश में रोजगार की हालत की पड़ताल करता है.
NSSO सर्वे ये भी कहता है कि लोग काम-धंधे से दूर हो रहे हैं. आंकड़ो के मुताबिक नौकरी कर रहे या नौकरी ढूंढ रहे लोगों की तादाद कम हुई है. इस आंकड़े को दिखाने वाली LFPR की दर 2011-12 में 39.5% थी जो 2017-18 में घटकर 36.9% हो गई.
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