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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में काम की सुस्त रफ्तार को लेकर भारी नाराजगी जताई है. दरअसल, पिछले कुछ वक्त में सरकारी प्रोजेक्ट्स के अटकने और उसकी वजह से उनकी लागत बढ़ने पर काफी बात हुई है, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिले हैं, लेकिन इस सबके बावजूद अभी भी तस्वीर कुछ खास बदलती नहीं दिख रही.
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट से चिंताजनक आंकड़े सामने आए. इस रिपोर्ट में बताया गया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के, 150 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा के खर्च वाले, 441 प्रोजेक्ट्स की लागत में तय अनुमान से 4.35 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. इनकी लागत के बढ़ने की जो वजहें हैं, उनमें देरी भी शामिल है.
मंत्रालय की अगस्त, 2020 की रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह के 1661 प्रोजेक्ट्स में से 441 की लागत बढ़ी है जबकि 539 प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, ''इन 1661 प्रोजेक्ट्स की मूल लागत 2090931.27 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 2526063.76 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इनकी लागत, मूल लागत की तुलना में 20.81 फीसदी यानी 435,132.49 करोड़ रुपये बढ़ी है.''
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगस्त 2020 तक इन प्रोजेक्ट्स पर 1148621.70 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 45.47 फीसदी है.
मंत्रालय ने कहा कि देरी से चल रहे 539 प्रोजेक्ट्स में 128 प्रोजेक्ट्स एक महीने से 12 महीने, 128 प्रोजेक्ट्स 13 से 24 महीने, 167 प्रोजेक्ट्स 25 से 60 महीने और 116 प्रोजेक्ट्स 61 महीने या उससे ज्यादा की देरी का सामना कर रहे हैं. हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर प्रोजेक्ट्स के पूरा होने की हालिया समय सीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही प्रोजेक्ट्स की संख्या कम होकर 440 पर आ जाएगी.
नितिन गडकरी ने हाल ही में एनएचएआई की बिल्डिंग के उद्घाटन के मौके पर कहा था कि इस बिल्डिंग को बनने में नौ साल लगे हैं. उन्होंने कहा था कि यहां ऐसे एनपीए हैं जो केंचुए की तरह भी काम नहीं कर सकते हैं, यहां उन्हें रखा जाता है और प्रमोट किया जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा था, ‘‘इस तरह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले अधिकारियों के रवैये पर मुझे शर्म आती है.’’ गडकरी ने कहा था, ‘‘ये अधिकारी फैसले लेने में विलंब करते हैं और जटिलताएं पैदा करते हैं. ये सीजीएम, जीएम स्तर के अधिकारी हैं जो बरसों से यहां जमे हैं.’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अब वक्त आ गया है कि ऐसे अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए.
वहीं, राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति रूपरेखा (एनपीएमपीएफ) के वर्चुअल आयोजन को संबोधित करते हुए गडकरी ने बुधवार को कहा कि ईमानदार अधिकारियों को समर्थन देने की जरूरत है, नहीं तो वे फैसले नहीं ले पाएंगे. उन्होंने कहा कि समय पर पूरे होने वाले बेहतर क्वालिटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से ‘आत्मनिर्भर भारत’ का टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी.
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