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स्वीडन की बस/ट्रक बनाने वाली ऑटो कंपनी स्केनिया को लेकर स्वीडिश न्यूज चैनल सहित तीन मीडिया संस्थानों ने बड़ा खुलासा किया है. आरोप लगे हैं कि ऑटोमेकर स्केनिया ने 2013 से 2016 के बीच भारत के 7 अलग-अलग राज्यों में बसों के कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए रिश्वत दी थी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मोदी सरकार में सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी आया है. इसके बाद नितिन गडकरी के ऑफिस की तरफ से इस पर सफाई दी गई है.
गडकरी की सफाई में कहा गया कि 'ये पूरा मामला स्केनिया कंपनी का आंतरिक मामला है. मीडिया को अभी स्केनिया इंडिया के बयान का इंतजार करना चाहिए, जिसने पूरे मामले को हैंडल किया था. गडकरी और उनके परिवार के लोगों का बस की खरीद/बिक्री से कोई लेना देना नहीं है.'
सफाई में इस बात पर जोर दिया गया कि 'ये पूरी तरह से एक कमर्शियल डील थी जो नागपुर के नगर निगम और स्वीडिश ऑटो कंपनी के बीच हुई थी. गडकरी ने नागपुर नगर निगम को स्वीडिश कंपनी के साथ करार करने के लिए प्रोत्साहन दिया था.'
भारत के लिए ये खुलासा अहम इसलिए है क्यों कि आरोप लगे हैं कि ऑटोमेकर स्केनिया ने 2013 से 2016 के बीच भारत के 7 अलग-अलग राज्यों में बसों के कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए रिश्वत दी थी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक मामले में स्केनिया ने 2017 में एक जांच शुरू की, जिसमें कंपनी के कर्मचारियों, सीनियर मैनेजमेंट के कामकाज में गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं. स्केनिया के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर कहा है कि- 'इन गड़बड़ियों में कथित रिश्वत देना, बिजनेस पार्टनर के जरिए रिश्वत देना और चीजों को गतल तरीके से रखना शामिल है.'
स्केनिया के प्रवक्ता ने बताया कि 'कंपनी ने इसके बाद से भारतीय बाजार में सिटी बस बेचना बंद कर दिया. कंपनी ने भारत में जो अपनी फैक्टरी स्थापित की थी उसे बंद कर दिया गया. कंपनी का कहना है कि 'भारत में गलत काम कुछ व्यक्तियों ने किए, उन्होंने बाद में कंपनी छोड़ दी. इसमें जो भी बिजनेस पार्टनर शामिल थे, कंपनी ने उनके साथ समझौते खत्म कर दिए.'
रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय मंत्री को भी स्केनिया कंपनी के लोगों ने रिश्वत दी.
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