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निजामुद्दीन मरकज | ‘कोरोना की त्रासदी को सांप्रदायिक रंग देना गलत’

निजामुद्दीन घटना पर सियासत शुरू

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निजामुद्दीन घटना पर सियासत शुरू
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निजामुद्दीन घटना पर सियासत शुरू
(फोटो: Altered by Quint Hindi)

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दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में कोरोनावायरस के कई मामले सामने आने के बाद से इसपर सियासत शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर नेताओं से लेकर कई यूजर्स ने इसे साजिश बताया है. कुछ हैशटैग्स के साथ सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश हो रही है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने इसे इसे सांप्रदायिक रंग देने पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण, जफर सरेशवाला आदि ने भी सवाल उठाए हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, "तबलीगी वायरस जैसे हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे लोग वायरस से भी ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि इनका दिमाग बीमार है, लेकिन शरीर एकदम स्वस्थ्य है."

एक दूसरे ट्वीट में अब्दुल्ला ने लिखा कि अब ये घटना सभी मुस्लिमों के बारे में लिखने के लिए एक बहाना बन जाएगा.

वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने लिखा, “जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तब एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस चल रही थी. उन्होंने अधिकारियों को जानकारी दी और उनसे अनुरोध किया गया कि लोगों को बाहर जाने दिया जाए. उन्हें दोष देना सही नहीं है.”

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मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने ट्विटर पर लिखा कि सबसे घटिया हरकत किसी भी ट्रैजेडी को सांप्रदायिक रंग देना है. उन्होंने लिखा, "लॉकडाउन के कारण कहीं जाने का कोई रास्ता ही नहीं था. उन्होंने हालात के बारे में पुलिस और अधिकारियों को बताया था. पुलिस वहां मौजूद हर शख्स के बारे में जानती थी."

जर्नलिस्ट राणा अयूब ने भी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की आलोचना की है.

इस इस्लामिक कार्यक्रम में करीब 1500 से भी ज्यादा लोग एक ही जगह पर जमा हुए थे. तबलीगी मरकज में पहुंचे 6 लोगों की तेलंगाना में मौत हो गई है. वहीं, कई लोग कोरोनावायरस के पॉजिटिव पाए गए हैं. इस कार्यक्रम में यूके और फ्रांस समेत कुल 281 विदेशी लोग शामिल हुए थे.

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Published: 31 Mar 2020,07:54 PM IST

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