Home News India क्यों सड़क पर उतरे देश भर के डॉक्टर, NMC बिल में ऐसा क्या है?
क्यों सड़क पर उतरे देश भर के डॉक्टर, NMC बिल में ऐसा क्या है?
NMC बिल के विरोध में सड़क पर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन
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भारत
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NMC बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर्स ने बंद की ओपीडी
(फोटो: ट्विटर)
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लोकसभा से नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पास किए जाने के बाद देशभर के डॉक्टर्स सड़क पर उतर आए हैं. इस बिल के खिलाफ, देशभर में 31 जुलाई को डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे. दिल्ली से लेकर तमिलनाडु और गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक में डॉक्टर्स हड़ताल पर बैठे. आखिर ऐसा क्या है NMC बिल में जिसका विरोध डॉक्टर कर रहे हैं?
NMC बिल को सोमवार, 29 जुलाई को लोकसभा में पारित किया गया. सरकार ने इस फैसले को ‘दूरदर्शी सुधारों में से एक' बताया है, लेकिन इस बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर्स सड़कों पर उतर आए हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि वो सभी गैर-जरुरी सेवाओं को 31 जुलाई सुबह 6 बजे से लेकर 1 अगस्त सुबह 6 बजे तक बंद रखेगा. हालांकि, हड़ताल से आपाताकलीन सेवा को मुक्त रखा गया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर इस हड़ताल में शामिल होने और बिल में आवश्यक बदलाव करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए सभी डॉक्टर्स के समर्थन की अपील की. द फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने भी हड़ताल में भाग लिया है.
देश भर के मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर्स ने विरोध प्रदर्शिन करते हुए पहने काले रंग के बैच. डॉक्टरों की हड़ताल से अधिकतर राज्य में ओपीडी विभाग प्रभावित है.
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देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल
कोलकाता में विरोध प्रदर्शन करते डॉक्टररांची के रिम्स में NMC बिल के विरोध में डॉक्टरों की हड़तालपटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में ओपीडी में डॉक्टरों का इंतजार करते मरीजहैदराबाद के सरकारी गांधी अस्पताल में NMC बिल के विरोध में बैठे डॉक्टर्सडॉक्टरों की हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को झेलनी पड़ी
बिल की अहम बातें
6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करने के बाद देश के आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर भी एमबीबीएस डॉक्टर की तरह एलोपैथी दवाएं लिख सकेंगे.
मेडिकल कोर्स यानी ग्रेजुएशन के बाद भी प्रैक्टिस करने के लिए एक और एग्जाम देना होगा. ये एग्जाम कंप्ल्सरी होगी. इसे पास करने के बाद ही प्रैक्टिस और पोस्ट ग्रेजुएशन की इजाजत मिलेगी.
एनएमसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 40 फीसदी सीटों की फीस भी तय करेगी. बाकी 60 फीसदी सीटों की फीस तय करने का अधिकार कॉलेजों का होगा.
मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए सिर्फ एक परीक्षा NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) ली जाएगी.
विरोध की क्या है वजह?
भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से जुड़े काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की जिम्मेदारी थी, लेकिन बिल पास होने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ले लेगा.
बिल के सेक्शन 32 के तहत, करीब 3.5 लाख गैर-मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का लाइसेंस मिलेगा.
डॉक्टर्स NEET से पहले NEXT को अनिवार्य किए जाने के भी खिलाफ हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मेडिकल सेक्टर में आने की संभावना कम हो सकती है.