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विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज चर्चा और वोटिंग होनी है. सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा है, इसलिए वह इस प्रस्ताव के सफल न होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है. हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब किसी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.
संसद में अब तक करीब 26 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, इसमें से विपक्ष को केवल दो बार ही सफलता मिली है. बता दें कि सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ पेश किया गया था.
संसद में किसी भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पहली बार साल 1963 लाया गया था. उस वक्त देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार थी. नेहरू के खिलाफ जेबी कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव रखा था.
दरअसल, कृपलानी ने कांग्रेस से खफा होकर अपनी अलग पार्टी बना ली थी, जो बाद में सोशलिस्ट पार्टी के साथ मिलकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में बदल गई. कृपलानी की ओर से नेहरू सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 62 वोट और विरोध में 347 वोट पड़े थे.
संसद के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव का सबसे ज्यादा बार सामना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को करना पड़ा है. इंदिरा सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से15 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, हालांकि, विपक्ष को एक बार भी कामयाबी नहीं मिली. इंदिरा सरकार के खिलाफ साल 1966 से 1975 के बीच 12 बार और 1981 और 1982 में तीन बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था.
विपक्ष की ओर से सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद रहे ज्योति बसु के नाम है.
संसद के इतिहास में वोटिंग के बाद अब तक सिर्फ तीन बार सरकारें गिरीं हैं. इनमें पहली बार साल 1990 में वीपी सिंह सरकार, 1997 में एचडी देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार वोटिंग के बाद गिर गई थी.
नेहरू और इंदिरा के अलावा लाल बहादुरी शास्त्री और राजीव गांधी की अगुवाई वाली सरकारों को भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. शास्त्री के खिलाफ तीन बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था. शास्त्री सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव साल 1964 में और दो बारा 1965 के दौरान लाए गए थे.
राजीव गांधी सरकार के खिलाफ साल 1987 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, हालांकि, विपक्ष इसमें असफल रहा. पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में तीन बार प्रस्ताव पेश किया गया. अब तक लोकसभा में 13 बार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई है, जिनमें पांच प्रधानमंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है.
साल 2008 में एटमी डील के वक्त वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. उस वक्त यूपीए सरकार ने खुद विश्वास प्रस्ताव पेश किया और लोकसभा में हुई वोटिंग में मनमोहन सिंह को 19 वोटों से जीत मिली थी.
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