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भारत सरकार की अगुवाई में 18-19 नवंबर को दिल्ली में दो दिवसीय नो मनी फॉर टेरर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में 72 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. एनआईए के डीजी दिनकर गुप्ता ने ये जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान इसका हिस्सा नहीं होंगे. वहीं चीन को इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है.
एनआईए के डीजी दिनकर गुप्ता ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर आयोजित नो मनी फॉर टेरर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 72 देश और बहुपक्षीय संगठन के 450 प्रतिनिधि भाग लेंगे. शुक्रवार को 9.30 बजे बैठक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, तो वहीं 19 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समापन सत्र को संबोधित करेंगे.
दिनकर गुप्ता ने बताया कि इस सम्मेलन में दो दिनों में 4 अलग अलग सत्र रखे गए हैं. सभी प्रतिनिधि इन सत्रों में आतंकी फंडिंग को लेकर चर्चा करेंगे और इसके खिलाफ आपसी सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. दिनकर गुप्ता ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद में भारी कमी आई है, लेकिन इसके लिए आगे लड़ाई तो लड़नी ही होगी. उन्होंने कहा कि जिस भी देश के जरिए आतंकवाद को फंडिंग हो रही है, उसपर चर्चा की जाएगी.
वहीं सेकेट्री वेस्ट संजय वर्मा ने कहा कि भारत-रूस का सहयोग आतंक के खिलाफ लड़ाई में जारी है. एफएटीएफ में भी रूस का सहयोग बना रहा है. उन्होंने कहा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से बड़ी ये संस्था है. लिहाजा इसका दायरा भी बहुत बड़ा होगा. वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए नो मनी फॉर टेरर और एफएटीएफ को मिलकर आने वाले दिनों में काम करना होगा.
आपको बता दें कि नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन पहली बार 2018 में पेरिस में हुआ था. उसके बाद 2019 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था. वहीं भारत को इसकी मेजबानी 2020 में करनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था.
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