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''नवदीप कौर राजनीतिक रूप से सक्रिय महिलाओं के परिवार से आती हैं. हमारी जाति की स्थिति और हमारे आर्थिक अभाव ने हमें बचपन से सिखाया कि हमें अपने अधिकारों के लिए कैसे लड़ना है. नवदीप अलग नहीं हैं, वह एक फाइटर हैं.'' नवदीप कौर की बड़ी बहन राजवीर कौर ने यह बात बताई. राजवीर दिल्ली यूनिवर्सिटी से PhD कर रही हैं और वह भी एक्टिविज्म से जुड़ी रहती हैं.
दलित श्रम अधिकार एक्टिविस्ट और मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की सदस्य, 24 वर्षीय नवदीप 20 दिनों से ज्यादा वक्त से जेल में हैं. उनका संगठन उन वर्कर यूनियनों में शामिल है, जो केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन का हिस्सा हैं. नवदीप को 12 जनवरी को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था और 2 फरवरी को उनकी जमानत खारिज हो गई.
राजवीर का दावा है कि नवदीप को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है.
हालांकि, एसपी जशनदीप सिंह रंधावा ने नवदीप पर यौन हमले के राजवीर के आरोपों को खारिज किया है और इन आरोपों को ''आधारहीन'' बताया है.
राजवीर कहती हैं, ''कॉरपोरेट और स्टेट के दमन को समझने वाले बहुत से मजदूर दिसंबर में किसानों के प्रदर्शन से जुड़ गए थे, नवदीप का ग्रुप भी इसमें शामिल था.'' वह याद करती हैं कि कैसे उनकी बहन को प्रदर्शन का हिस्सा बनने के लिए उस फैक्ट्री को छोड़ने के लिए कहा गया, जिसमें वह काम करती थीं.
नवदीप अपनी आगे की शिक्षा के लिए पैसा जमा करने के लिए कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में पार्ट-टाइम काम कर रही थीं. इसी दौरान वह लेबर यूनियन में शामिल हो गईं और सक्रिय रूप से आवाज उठा रही थीं.
राजवीर ने बताया, ''28 दिसंबर को, जब वह और MAS के अन्य सदस्य अपने बकाया वेतन की मांग कर रहे थे, तो प्रदर्शनकारियों को निकाल दिया गया. पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों पर एक काउंटर FIR दर्ज कर दी. 12 जनवरी को एक और विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद नवदीप को निशाना बनाया गया, गिरफ्तार किया गया और उन पर हत्या की कोशिश और एक्सटॉर्शन के आरोप लगाए गए.'' उन्होंने कहा कि अपने बकाया वेतन के लड़ना एक्सटॉर्शन नहीं है.
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में यूपी, बिहार और पंजाब सहित देश के कई हिस्सों के 2 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं, जो विशेष रूप से हाशिए के समुदायों - जैसे दलित, मुस्लिम, भूमिहीन किसान या गरीब किसान - से हैं.
नवदीप पंजाब के मुक्तसर जिले की मूल निवासी हैं, जहां उनकी मां भी पंजाब खेत यूनियन के लिए सक्रिय रूप से काम करती हैं.
राजवीर अपनी बहन की रिहाई और इस मामले पर मानवाधिकार संगठनों का ध्यान ले जाने के लिए लड़ रही हैं.
राजवीर का कहना है कि मुख्यधारा की मीडिया और यहां तक कि सिविल सोसाइटी की नवदीप की गिरफ्तारी पर चुप्पी का उनकी जाति और आर्थिक पृष्ठभूमि से बहुत कुछ लेना-देना है.
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