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'किंग ऑफ गुड टाइम्स’ के नाम से मशहूर शराब कारोबारी विजय माल्या का बैड टाइम पिछले कुछ साल से चल रहा है. अब पूरे देश में विजय माल्या को एक कर्जदार भगोड़े के तौर पर देखा जाता है. शान-ओ-शौकत और बेशुमार दौलत से भरी माल्या की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. लंदन के एक कोर्ट ने अब उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है.
आइए जानते हैं विजय माल्या के करियर की शुरुआत से अब तक की पूरी कहानी.
63 साल के विजय माल्या ने महज 28 साल की उम्र में ही यूबी ग्रुप की कमान संभाल ली थी. उनके पिता विट्ठल माल्या देश के मशहूर शराब कारोबारी थे. उनका कारोबार देशभर में फैला था. विट्ठल माल्या की अचानक मौत हो जाने के बाद साल 1983 में कारोबार का दारोमदार विजय माल्या के कंधों पर आ गया.
विजय माल्या ने कॉरपोरेट कल्चर को अपने कारोबार में खास जगह दी. ऐसे में दूसरी कंपनियों के साथ कंपिटीशन में माल्या आगे रहे. साल 1984 में मशहूर कारोबारी मनु छाबड़िया से विजय माल्या का विवाद शुरू हो गया.
कंपनी को लेकर विवाद काफी लंबा चला. इस दौरान माल्या ने छाबड़िया के भाई को अपना पार्टनर तक बना लिया. अंत में 2002 में मनु छाबड़िया की मौत के 3 साल बाद माल्या ने शॉ वैलेस कंपनी को हासिल कर ही लिया.
विजय माल्या के किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत 2005 में हुई. इसी साल कंपनी ने एयरबस A380 विमान खरीद लिया. साथ ही किंगफिशर ये विमान खरीदने वाला पहला एयरलाइन बन गया. साल 2007 में माल्या ने एयर डेक्कन को खरीदा.
नई-नई चीजें करने के शौकीन विजय माल्या ने साल 2008 में ही फॉर्मूला वन रेसिंग में कदम रखा. स्पाईकर नाम की फॉर्मूला वन रेसिंग टीम के मालिक बने, जिसका नाम बदलकर फोर्स इंडिया कर दिया गया.
किंग ऑफ गुड टाइम की जिंदगी का बैड टाइम साल 2009 से शुरू हुआ. इस साल किंगफिशर एयरलाइंस को दूसरी तिमाही में करीब 418 करोड़ का घाटा हुआ. साथ ही एयरलाइंस से कमाई में भी भारी कमी आई.
7 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज के बाद कंपनी ने घरेलू उड़ानों को भी बंद कर दिया. किंगफिशर अपने स्टाफ तक को सैलरी नहीं दे पा रही थी. ऐसे में कंपनी के स्टाफ ने कई बार हड़ताल की.
एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह ने माल्या को लोन देने से इनकार कर दिया. डीजीसीए ने एक कारण बताओ नोटिस जारी कर माल्या से पूछा कि आपकी एयरलाइंस क्यों नहीं बंद कर दी जाए.
साल 2012 में बड़ी शराब कंपनी डियाजिओ ने यूएसएल (यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड) की 53 फीसदी हिस्सेदारी करीब 11 हजार करोड़ रुपये में खरीदने का फैसला किया. 2013 में किंगफिशर ने अपना इंटरनेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइंग स्लॉट खो दिया.
विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को साल 2014 में देश का सबसे बड़ा नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया गया, क्योंकि किंगफिशर 4 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज चुकाने में नाकाम रहा था. इस कर्ज का ज्यादातर हिस्सा सरकारी कंपनियों से लिया गया था. इसके बाद तो माल्या और उनकी कंपनी के खिलाफ बैंकों की शिकायत का दौर शुरू हुआ, जो अब तक नहीं थमा. माल्या और उनकी कंपनी पर धोखाधड़ी, पैसे नहीं लौटाने के आरोप लगते रहे.
सीबीआई ने अक्टूबर, 2015 में विजय माल्या और उनकी कंपनी पर छापे मारे. मामला आईडीबीआई बैंक और किंगफिशर के बीच लोन का था.
इसी साल नवंबर में किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों ने ई-नीलामी का फैसला किया. करीब 7 हजार करोड़ के कर्ज वसूली के लिए ये कदम उठाया गया था.
साथ ही माल्या को एसबीआई ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया. यानी दूसरे बैंकों से भी लोन हासिल करने का रास्ता माल्या के लिए बंद हो गया.
अर्श से फर्श पर आ चुके विजय माल्या के ऊपर फिलहाल 17 बैंकों का 9 हजार करोड़ का कर्ज है. माल्या लंदन में अपनी जिंदगी आराम से गुजार रहे थे, लेकिन अब उनके प्रत्यर्पण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
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