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हजरत मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फटकार (Supreme Court slams Nupur Sharma) लगाई है. उदयपुर के जघन्य हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा के विवादस्पद बोल को जिम्मेदार ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 1 जुलाई को कहा कि उनके बयान ने पूरे देश में आग लगा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर टीवी चैनल और दिल्ली पुलिस भी रही.
नूपुर शर्मा को खरी-खोटी सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के ये दोनों जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला हैं, जिनकी बेंच नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. चलिए जानते हैं दोनों जजों के बारे में.
12th अगस्त 1965 को मुंबई में जस्टिस जेबी पारदीवाला का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसका वकालत में नाम था. परिवार मूल रूप से दक्षिणी गुजरात के वलसाड शहर से था. जस्टिस जेबी पारदीवाला के परदादा नवरोजजी भीखाजी पारदीवाला ने 1894 में वलसाड में अपनी वकालत शुरू की थी, जबकि दादाजी कावासजी नवरोजजी पारदीवाला 1929 में वलसाड में बार में शामिल हुए और 1958 तक वकालत किया.
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने जेपी आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से 1985 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था . उन्होंने 1988 में केएम लॉ कॉलेज, वलसाड से अपनी लॉ डिग्री पूरी की. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अपनी वकालत जनवरी 1989 में वलसाड से ही शुरू की थी लेकिन सितंबर 1990 में उन्होंने अहमदाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी.
17 फरवरी 2011 को उन्हें गुजरात हाई कोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश (एडिशनल जज) के रूप में प्रमोट किया गया और 28 जनवरी 2013 को वो स्थायी जज बन गए. 9 मई 2022 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किया गया.
जस्टिस पारदीवाला सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाले पारसी समुदाय के केवल चौथे सदस्य हैं. मई 2028 में अगले दो साल और तीन महीने के कार्यकाल के लिए वो भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बनने की कतार में हैं.
18 दिसंबर 2015 को जस्टिस पारदीवाला विवादों के बीच थे जब 58 राज्यसभा सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए एक याचिका प्रस्तुत की थी.
दरअसल 1 दिसंबर 2015 को हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह के एक मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस पारदीवाला ने टिप्पणी की थी कि "अगर मुझसे कोई पूछे कि वह कौन सी 2 चीजे हैं जिसने देश को बर्बाद किया है या उसे सही दिशा में बढ़ने नहीं दिया है तो मैं कहूंगा- आरक्षण और भ्रष्टाचार"
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले जस्टिस पारदीवाला उद्धव सरकार के खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच में शामिल थे जिसने कहा था कि उद्धव सरकार को राज्यपाल के आदेशनुसार ही तय तारीख को फ्लोर पर बहुमत साबित करना होगा.
60 वर्षीय जस्टिस सूर्यकांत ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई की है. उन्होंने 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. हरियाणा के एडवोकेट जनरल के रुप में भी सेवा दी. आगे 2011 में उन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया गया.
जस्टिस सूर्यकांत को 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किया गया. उनके कुछ उल्लेखनीय फैसलों में जितेंद्र सिंह बनाम पर्यावरण मंत्रालय और अन्य में सर्वसम्मत निर्णय शामिल हैं.
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