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NYT जॉब डिस्क्रिप्शन: मोदी, हिंदुत्व केंद्रित राष्ट्रवाद के जिक्र पर छिड़ी बहस

NYT एंटी-मोदी एक्टिविस्ट ढूंढ रहा: केंद्र के एडवाइजर

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<div class="paragraphs"><p>NYT एंटी-मोदी एक्टिविस्ट ढूंढ रहा: केंद्र के एडवाइजर</p></div>
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NYT एंटी-मोदी एक्टिविस्ट ढूंढ रहा: केंद्र के एडवाइजर

(फोटो: Twitter)

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अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स (NYT) के एक जॉब एड (NYT Job Ad) पर बहस छिड़ गई है. NYT ने साउथ एशिया बिजनेस करेस्पॉन्डेंट के पद के लिए एक एड दिया है. ये नौकरी दिल्ली में होगी और उम्मीदवार को साउथ एशिया और प्रमुख तौर पर भारत की बिजनेस कवरेज करनी होगी. यहां तक सब ठीक है, लेकिन इसके डिस्क्रिप्शन की कुछ बातें सोशल मीडिया पर कुछ लोगों को नागवार गुजरी हैं. वहीं, कुछ लोग पूछ रहे हैं कि इसमें 'गलत' क्या है.

NYT ने एड के जॉब डिस्क्रिप्शन में लिखा है कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शक्तिपूर्ण राष्ट्रवाद की वकालत कर रहे हैं जो देश की हिंदू बहुलता पर केंद्रित है.'

"भारत का भविष्य अब चौराहे पर खड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी का नजरिया देश के संस्थापकों के इंटरफेथ और मल्टीकल्चरल लक्ष्यों से उल्टा है. ऑनलाइन स्पीच और मीडिया डिस्कोर्स की पुलिसिंग करने की सरकार की बढ़ती कोशिश ने सुरक्षा, निजता और फ्री स्पीच के मुद्दों के लिए कठिन सवाल खड़े किए हैं. तकनीक मदद और रुकावट दोनों है."
NYT का जॉब डिस्क्रिप्शन

न्यू यॉर्क टाइम्स ने भारत में कोरोनावायरस की दूसरी वेव के दौरान मोदी सरकार पर कई आलोचनात्मक लेख छापे थे. तब भी सोशल मीडिया पर लोगों के एक धड़े ने अखबार को 'पक्षपाती' बताया था. हाल ही में कॉमेडियन कुनाल कामरा भी NYT के एक वीडियो में फीचर हुए थे. कामरा भी प्रधानमंत्री मोदी के आलोचक हैं. इस पर भी काफी विवाद हुआ था.

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सोशल मीडिया पर एड के समर्थक और विरोधी दोनों दिखे

NYT के इस एड को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बहस चल रही है. एड के विरोध और समर्थन में तर्क दिए जा रहे हैं. कुछ लोग इस एड को 'सरकार और भारत विरोधी' बता रहे हैं.

जबकि कुछ लोगों ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि 'एड में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.'

NYT एंटी-मोदी एक्टिविस्ट ढूंढ रहा: केंद्र के एडवाइजर

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सीनियर एडवाइजर कंचन गुप्ता ने ट्विटर पर कहा कि अमेरिकी अखबार साफ तौर पर 'एक एंटी-मोदी एक्टिविस्ट हायर करना चाहता है.'

गुप्ता ने लिखा, "NYT ने निष्पक्षता का दिखावा छोड़ दिया है. वो एंटी-मोदी एक्टिविस्ट ढूंढ रहा है जो हमारे पड़ोस में एंटी-भारत भावनाएं भड़का सके. इसके साथ ही अखबार विदेशी-फंड प्राप्त NGO के लिए योग्य बन गया है."

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