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डॉक्टरों और अस्पताल के लिए लोगों की नाराजगी की खबरें तो आम हैं. लेकिन ओडिशा में फानी तूफान के वक्त ऐसा मामला सामने आया जब वही डॉक्टर और नर्स दूधमुंहे बच्चों के लिए फरिश्ता बन गए. दरअसल, 3 मई को ओडिशा में चक्रवाती तूफान 'फानी' ने भयंकर तबाही मचाई थी. कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग इससे प्रभावित हुए.
इसी दौरान कैपिटल हॉस्पिटल के न्यू-बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती 22 नवजात बच्चों की जिंदगी खतरे में थी. नर्सों ने देखा कि कमरे की छत गिरने वाली है. तो अस्पताल में मौजूद नर्सों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर तुरंत बच्चों को रेस्क्यू करने में लग गईं. ओडिशा सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने ये जानकारी दी.
नर्सो ने पहले खुद के शरीर से सभी नवजात बच्चों को कवर किया और फिर उसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद एनआईसीयू में बच्चों को सुरक्षित पहुंचा दिया. ये घटना तीन मई को दोपहर करीब साढ़े बारह बजे की है. उस समय अस्पताल में 7 मेडिकल नर्स, 2 अटेंडेंट और 2 मेडिकल ऑफिसर ड्यूटी पर मौजूद थे.
ओडिशा में फानी चक्रवात के बाद भीषण गर्मी में बिजली की आपूर्ति न होने से लोगों की हालत और भी खराब हो गई है. स्पेशल रिलीफ कमिश्नर (एसआरसी) के मुताबिक, आपदा की चपेट में आए पशुओं की संख्या करीब 21,769,98 है. राज्य प्रशासन सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र पुरी और खुर्दा जिले के कुछ हिस्से समेत भुवनेश्वर में बिजली व्यवस्था दुरुस्त कराने को लेकर अभी भी कोशिश में हैं. वहीं बढ़ता तापमान लोगों पर कहर बरसा रहा है.
भुवनेश्वर में 10 मई तक करीब 80 प्रतिशत बिजली व्यवस्था दुरुस्त होने की उम्मीद है. वहीं पूरे शहर में 12 मई तक बिजली की आपूर्ति सुचारू हो पाएगी. चक्रवात की वजह से पुरी में भारी तबाही हुई है. इस वजह से बिजली व्यवस्था की मरम्मत होने में 12 मई तक या उससे भी अधिक वक्त लग सकता है. इसके अलावा 5,030 किमी 33 केवी लाइन, 38,613 किमी 11 केवी लाइन, 11,077 वितरण ट्रांसफॉर्मर्स और 79,485 किलोमीटर एलटी लाइन चक्रवात में तबाह हुए हैं.
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