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Odisha Train Accident: घायलों की मदद को उमड़े स्थानीय लोग, अस्पताल में रक्तदान

Odisha Train Accident | हादसे में करीब 261 लोगों की मौत हुई और लगभग 1000 से ज्यादा घायल हुए हैं.

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<div class="paragraphs"><p>Odisha Train Accident: घायलों की मदद को उमड़े स्थानीय लोग, अस्पताल में रक्तदान</p></div>
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Odisha Train Accident: घायलों की मदद को उमड़े स्थानीय लोग, अस्पताल में रक्तदान

(फोटो: PTI)

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ओडिशा (Odisha Train Accident) के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे से पूरे देश की आंखे नम हैं. करीब 261 लोगों की मौत और लगभग 1000 से ज्यादा घायल लोगों की खबर ने पूरे हर किसी को झकझोर कर रख दिया. शुक्रवार, 2 जून की शाम साढ़े 7 बजे जैसे ही ये हादसा हुआ, आस-पास के सैंकड़ों लोग मदद के लिए सामने आ गए.

द क्विंट ने भद्राक जिले के 21 साल के दीपक (बदला हुआ नाम) से बात की. ये इंजिनियरिंग के छात्र हैं, और जैसे ही हादसे की खबर सुनी, अपने दोस्तों के साथ मदद के लिए दौड़ पड़े.

दीपक ने कहा, "जब हमने सोशल मीडिया पर दुर्घटना के बारे में सुना तो हम टहल रहे थे. हम चारों ने वहां जाने का फैसला किया. हमें पता था कि मदद की जरूरत होगी." रात करीब 10:30-11 बजे दीपक घटनास्थल पर पहुंचे और जो देखा उससे सहम गए.

"यह सबसे भयानक चीज थी जो कोई भी देख सकता था. घटनास्थल के चारों ओर लाशें पड़ी थीं. 400-450 से अधिक लोग मारे गए थे. कई शव क्षत-विक्षत थे. चारों तरफ अंगों के ढेर थे."

'स्थानीय लोग घायलों की मदद के लिए जो कुछ कर सकते थे, वो किया'

स्थानीय लोगों ने बताया कि हाइवे से हादसे वाली जगह दिखाई पड़ कर रही थी, और जिसने भी ये देखा उसमें से ज्यादातर लोग वहां या पास के अस्पताल में पहुंचने लगे.

स्थानीय लोगों ने घायलों की मदद की. स्थानीय प्रशासन के पहुंचने के पहले उन्हें बाइक/ऑटो पर अस्पताल पहुंचाया. ऐसा लग रहा था कि लोग खून से नहाए हुए हों.

दीपक और उसके दोस्तों ने कुछ पीड़ितों को अस्पताल ले जाने में मदद की और कहा कि वहां बहुत सारे लोग थे जो खून दान करने के लिए वहां पहुंचे थे.

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बालासोर की महिलाओं और युवा सहित स्थानीय लोग, पीड़ितों को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे. दीपक ने द क्विंट को बताया कि लोग रक्तदान के लिए लाइन में खड़े थे और हर संभव तरीके से मदद करने के लिए तैयार थे.

नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय पत्रकार ने द क्विंट को बताया कि कई अस्पतालों में स्थानीय लोगों ने लगभग 1,100 यूनिट रक्तदान किया.

"स्थानीय लोग सच में मदद के लिए आगे आए. रात तक ही, अस्पतालों में 1,100 यूनिट से ज्यादा रक्त उपलब्ध हो गया था."

स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया कि लोग कम से कम दो डिब्बों में फंस गए थे. दुर्घटना के दौरान ये डिब्बे एक-दूसरे से टकरा गए थे. इसके बाद बोगियों को काटकर लोगों को निकालने की कोशिशें शुरू हो गईं.

"दुर्घटना इतनी घातक थी कि जो दो बोगियां आपस में टकराईं उनमें सुबह भी लगभग 150 लोग अंदर फंसे हुए थे."

'अस्पताल घायलों से भरे पड़े हैं, फर्श पर लाशें बिछी हुई हैं'

अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या 261 बताई और कहा कि हादसे में करीब 900 लोग घायल हुए हैं. रक्तदान करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे बालासोर के सोरो अस्पताल के बाहर सुबह तक रुके दीपक ने कहा कि घायलों की संख्या इतनी अधिक थी कि वे दवा के साथ फर्श पर पड़े थे. उन्होंने कहा,

"हम रक्तदान करने के लिए लाइन में इंतजार कर रहे थे. जब मैं कतार से हट गया और एक घायल की मदद करने के लिए अस्पताल के अंदर गया, तो अस्पताल का फर्श इलाज करा रहे लोगों से भरा हुआ था. एक कमरे में लाशों के ढेर भी थे."

चश्मदीदों ने बताया कि रक्तदान करने के लिए लोग सुबह से ही कतार में लगे थे. एक मीडिया आउटलेट से बात करते हुए, ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने कहा कि स्थानीय लोग बचाव दल की लगातार मदद कर रहे हैं.

"लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए आ रहे हैं. मुझे कई जगहों से अनुरोध मिल रहे हैं, इसलिए ये एक अच्छा संकेत है. दुर्घटना के बाद से, बहुत से स्थानीय लोग बचावकर्मियों की मदद कर रहे हैं."

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