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इंडियन एयर फोर्स ने पिछले साल फरवरी के महीने में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी. इस सीक्रेट ऑपरेशन के लिए इंडियन एयर फोर्स ने इसे 'ऑपरेशन बंदर' कोडनेम दिया था.
इंडियन एयर फोर्स ने आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए 12 मिराज-2000 फाइटर जेट भेजे थे. एयर स्ट्राइक के जरिए एयर फोर्स ने जैश के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था.
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, 'गोपनीयता बनाए रखने और प्लान को लीक होने से बचाने के लिए बालाकोट ऑपरेशन को 'ऑपरेशन बंदर' कोडनेम दिया गया था.' यह कोड नेम रखने के पीछे की वजह का खुलासा न करते हुए सूत्र ने बताया कि भारत के इतिहास में हुए युद्ध में बंदर का अहम योगदान रहा है. रामायण काल में राम भक्त हनुमान भी चुपके से रावण की लंका में दाखिल हो गए थे और लंका को जलाकर खाक कर दिया था.
26 फरवरी को 12 मिराज-2000 ने देश के अलग-अलग एयर बेस से उड़ान भरी थी. ये फाइटर जेट पाकिस्तानी सीमा में घुसे और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.
इस दौरान इंडियन एयर फोर्स के पायलट्स ने आतंकी ठिकानों पर 5 स्पाइस 2000 बम गिराए थे. ऐसा माना जाता है कि 4 बम उन बिल्डिंगों पर गिरे थे, जहां आतंकी सो रहे थे. आतंकियों पर यह हमला सुबह 3:30 पर हुआ था. हमला करने के कुछ मिनटों बाद ही भारतीय जेट अपने एयरबेस पर लौट आए थे. इस ऑपरेशन के लिए एयरफोर्स ने स्क्वॉड्रन नंबर 7 और 9 के एयरक्राफ्ट शामिल किए गए थे.
जिस वक्त इंडियन एयर फोर्स के मिराज ऑपरेशन बालाकोट को अंजाम दे रहे थे, उस दौरान कुछ मिराज और सुखोई पाकिस्तान एयर फोर्स का ध्यान भटका रहे थे. ताकि पाकिस्तान एयर फोर्स की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में कोई बाधा न आए.
इंडियन एयर फोर्स की तरफ से सरकार को दी गई जानकारी के मुताबिक, 80 प्रतिशत बम सफलता पूर्वक अपने टारगेट पर गिराए गए, जिससे आतंकी ठिकानों को बड़ा नुकसान पहुंचा. भारतीय वायु सेना ने कमांडो की एक टीम को भी स्टैंडबाय पर रखा था ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके.
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