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किसान आंदोलन में 26 जनवरी की हिंसा के बाद से जो तनाव की स्थिति बनी हुई थी. गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत समेत बैठे किसानों ने उस तनाव को तकरीबन दूर कर दिया है. पुलिस की चेतावनी के बाद भी गाजीपुर बॉर्डर से ये किसान नहीं उठे और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की आंसुओं ने माहौल बदल दिया. पश्चिमी यूपी, हरियाणा के अलग-अलग गांवों से किसान उठकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे. इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाई गई, जिसमें भारी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया.
अब ये समर्थन सिर्फ किसानों के स्तर पर नहीं मिल रहा, बल्कि विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी खुलकर किसानों के समर्थन में आ रही हैं.
शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, अलका लांबा, आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आरएलडी नेता जयंत चौधरी पहुंचे.इंडियन नेशनल लोकदल के महासचिव अभय चौटाला भी राकेश टिकैत से मिलने वाले हैं. कुल मिलाकर गाजीपुर प्रदर्शन स्थल किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है.
गाजीपुर की सीमा तक पहुंचने वाले नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह ने कहा है कि 'यह किसानों के लिए करो या मरो की स्थिति है और हमें इसके लिए एकजुट होना होगा.
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, दिल्ली कांग्रेस की नेता अलका लांबा और हरियाणा के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी टिकैत को समर्थन देने के लिए गाजीपुर की सीमा पर गए.
अजय कुमार लल्लू ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा- "कांग्रेस पार्टी लगातार किसानों का समर्थन कर रही है और केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रही है. इस सरकार ने ये काला कानून लागू किया है. कांग्रेस पार्टी ने पिछले दिनों सड़कों पर मार्च निकाला. जिसके बाद 2 हजार से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे हुए और जेल भेजे गए. राहुल गांधी-प्रियंका गांधी ने राजभवन घेरा, कार्यकर्ताओं ने राजभवन घेरने का काम किया. हमने लगातार इन काले कानूनों का विरोध किया है."
शनिवार को दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अनिल कुमार चौधरी ने भी विरोध स्थल का दौरा किया और कहा कि 'कांग्रेस किसानों के समर्थन में है.कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी राकेश टिकैत से बात की और किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार सुबह 11.30 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. उन्होंने ये बताया कि पार्टी के नेताओं ने दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें प्रदान की जा रही पानी, शौचालय और नागरिक सुविधाओं का जायजा लेने के लिए सीमाओं पर किसान विरोध स्थलों का दौरा करने की योजना बनाई थी. सिसोदिया का कहना है कि आंदोलन की शुरुआत से ही प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन कर रही है.
किसान आंदोलन में शुरुआत से मुखर रहे योगेंद्र यादव का कहना है कि गुरुवार को ऐसा लग रहा था कि सरकार-प्रशासन हर जगह से प्रदर्शन को हटाने की तैयारी में हैं. ऐसा लग रहा था कि सारे मोर्चे सिमटकर एक दो ही मोर्चे बचेंगे लेकिन जिस तरह से राकेश टिकैत ने स्टैंड लिया और कहा कि जो करना है कर लीजिए, किसान यहां से नहीं उठने वाले हैं.
बता दें कि क्विंट हिंदी से शुक्रवार को बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि ये शांतिपू्र्ण प्रदर्शन जारी रहेगा, जब तक तीनों किसान कानून खत्म नहीं हो जाते, उन्होंने ये भी कहा कि सरकार से बातचीत के लिए वो तैयार हैं. शनिवार को उन्होंने कहा,
सरकार और किसानों के बीच 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक कोई नतीजे सामने नहीं आया है. 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद राकेश टिकैत समेत कई किसानों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है.
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