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देश के शैक्षिक संस्थानों में मौजूदा हालात को लेकर 200 से ज्यादा शिक्षाविदों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. शिक्षाविदों ने हालात पर चिंता जताते हुए आरोप लगाया है कि 'छात्र राजनीति के नाम पर लेफ्ट का एजेंडा आगे बढ़ाया जा रहा है'.
शिक्षाविदों के इस समूह में कई विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर भी मौजूद हैं. खत में लिखा गया है,
शिक्षाविदों ने खत में लिखा है कि घटनाओं से इन यूनिवर्सिटी कैंपस और संस्थानों में शैक्षिक गतिविधियां और रोजाना की कार्यवाई प्रभावित हुई है. खत में कहा गया,
शिक्षाविदों ने आरोप लगाया है कि इस तरह की घटनाओं से छात्रों के समूहों के बीच हिंसा हो रही है और शिक्षकों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ असहिष्णुता बढ़ रही है. खत में लिखा गया है कि लेफ्ट की राजनीति की सेंसरशिप के कारण सार्वजानिक बातचीत आयोजित करना मुश्किल हो गया है. शिक्षाविदों ने लिखा है कि लेफ्ट के प्रभाव वाली जगहों पर स्ट्राइक, धरना और बंद आम बात हो गए हैं और इस तरह की राजनीति का सबसे ज्यादा नुकसान गरीब छात्रों का होता है.
शिक्षाविदों ने खत में सभी लोकतांत्रिक ताकतों से शैक्षिक और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए साथ खड़े होने की अपील की है.
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