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कोरोना संकट के दौर में भारत के लिए एक पॉजिटिव न्यूज है, जो कि कोरोना वैक्सीन से जुड़ी हुई है. ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऐलान किया है कि उनकी कोरोना वैक्सीन 90% तक प्रभावी है और इस वैक्सीन को कोई खास साइड इफेक्ट्स भी नहीं है. भारत के लिए ये खबर इसलिए खास है कि दूसरी वैक्सीन फाइजर, मॉडर्ना के मुकाबले ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Oxford vaccine) काफी सस्ती है और इसका रखरखाव भी आसान है. इसलिए भारत जैसी अधिक जनसंख्या वाली आबादी तक पहुंचाने के लिए ज्यादा कारगर साबित हो सकती है.
एस्ट्राजेनेका के चीफ एग्जीयूटिव अधिकारी पास्कल सोरियोट ने बताया कि-
ब्रिटेन और ब्राजील में हुए आखिरी चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक- 'ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन बनाई थी वो 90% तक प्रभावी थी. इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान पहले आधा डोज दिया गया, फिर एक महीने के अंतराल के बाद पूरा डोज दिया गया.'
वहीं वैक्सीन का पूरा डोज एक महीने के अंतराल पर दिए जाने पर एफिकेसी रेट करीब 62% तक रहा है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर पर व्यक्त की और कहा कि ये काफी उत्साहजनक खबर है कि ऑक्सफोर्ट की वैक्सीन ने ट्रायर में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है.
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन स्थानीय स्तर पर भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रहा है. उम्मीद है कि जनवरी 2021 तक यहां से करीब 10 करोड़ वैक्सीन मिल सकती हैं, जिसका इस्तेमाल हेल्थवर्कर्स पर किया जाएगा.
इस घोणषा ऐलान करते हुए सीरम इंस्टीट्यू के सीईओ अधर पूनावाला ने कहा है कि कोविडशील्ड (वैक्सीन का स्थानीय नाम) अब जल्द ही लोगों को मिलने लगेगी. अदर पूनावाला ने बताया है कि
दूसरी कोरोना वैक्सीन जैसे फाइजर और मॉर्डना के मुकाबले ये वैक्सीन इसलिए खास है क्यों कि एक तो इसकी कीमत कम है और दूसरे इसको लाना-ले जाना आसान है. पूनावाला है हाल में ही बताया था कि इस वैक्सीन की ज्यादा से ज्यादा 1000 रुपये होगी. साथ ही वैक्सीन को फ्रिज के टेम्परेचर पर ही रखा जा सकता है. ये RNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन है.
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