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'मिशन शक्ति' यानी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ही मार गिराने के ऑपरेशन के 'खुलासे' को मंत्री पी. चिदंबरम ने मूर्खता बताया है. देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि सैटेलाइट को मार गिराने की टेक्नोलॉजी देश के पास पहले से ही मौजूद थी.
दरअसल, 27 मार्च को पीएम मोदी ने देश के लिए अपने संबोधन में 'मिशन शक्ति' के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘ए-सैट ने पूर्व निर्धारित लक्ष्य में सिर्फ तीन मिनट में एक लाइव सैटेलाइट को नष्ट कर दिया. इसके साथ ही भारत ने खुद को अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर स्थापित कर दिया है.’ प्रधानमंत्री ने कहा, 'मिशन शक्ति' कठिन अभियान था, लेकिन यह बहुत बड़ी सफलता है."
इस संबोधन के बाद से ही A-SAT यानी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल को लेकर कई तरह की बयानबाजी शुरू है. संबोधन के कुछ ही देर बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसा था. कांग्रेस के अलावा, BSP, NCP समेत विपक्ष के कई दलों ने पीएम के संबोधन को गलत बताया. ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने तो इसकी शिकायत चुनाव आयोग से कर दी. हालांकि, अब चुनाव आयोग ने मोदी के संबोधन को गलत नहीं पाया है.
कांग्रेस ने ये भी कहा कि जिस उपलब्धि का बखान मोदी कर रहे हैं, वो देश के पास 2012 से थी. कांग्रेस के अहमद पटेल ने ट्वीट किया - A-SAT के लिए देश के वैज्ञानिकों और डॉ. मनमोहन सिंह की लीडरशिप को सलाम. स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने 2012 की एक खबर ही शेयर कर दी जिसकी हेडलाइन थी - 'इंडिया ने अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स को नष्ट करने की क्षमता हासिल की'. खबर की लिंक शेयर करते हुए योगेंद्र ने लिखा - 'ध्यान से देखिए, ये खबर 7 मई, 2012 की है. उस दिन DRDO ने लो ऑर्बिट सैटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता की घोषणा की थी. तो आज किस बात का बैंड बजा रहे हैं? वो भी चुनाव के बीचों बीच? राष्ट्र के नाम संदेश देकर. राष्ट्रीय सुरक्षा की ओट में वोट मांगना बंद करो.’
2012 की खबर DRDO चीफ विजय सारस्वत के हवाले से थी. बवाल मचा तो विजय सारस्वत ने सफाई दी कि यूपीए सरकार की तरफ से उन्हें टेस्ट की इजाजत नहीं मिली थी.
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