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संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर करणी सेना एक बार फिर आंदोलन की तैयारी में है. इस संगठन के संस्थापक लोकेंद्र कालवी ने फिल्म पर पूरी तरह से बैन की मांग को लेकर लोगों से 27 जनवरी को चित्तौड़गढ में एकत्रित होने का आह्वान किया है.
कालवी ने कहा है किसी भी हालत में फिल्म को पर्दे पर नहीं आने दिया जाएगा. फिल्म पद्मावती की समीक्षा करने वाले विशेष स्क्रीनिंग पैनल नेृ बताया कि फिल्म के कुछ तथ्य राजपूत और मुस्लिम समाज को आहत कर सकते हैं, लेकिन सेंसर बोर्ड प्रमुख ने इन विचारों पर गौर नहीं किया.
हाल ही में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने ‘पद्मावती’ को बिना किसी कट के यूए सर्टिफिकेट देने का फैसला किया है, लेकिन फिल्म के निर्देशक को इसका नाम बदलकर ‘पद्मावत’ और चार दूसरे बदलाव करने का भी सुझाव दिया है.
सीबीएफसी चेयरमैन प्रसून जोशी ने कहा कि बोर्ड ने आधिकारिक घोषणा में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हुए इसमें ये जोड़ने को कहा था कि ये फिल्म जौहर प्रथा का महिमामंडन नहीं करती. साथ ही फिल्म के गीत घूमर में चरित्र के अनुकूल कुछ बदलाव करने का भी सुझाव दिया गया.
फिल्म की शूटिंग से लेकर अबतक विरोध करने वाली करणी सेना इन कवायदों के बावजूद फिल्म को रिलीज होने नहीं देना चाहती. संगठन के संस्थापक कालवी ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकार फिल्म पर पूरी तरह से बैन लगाकर एक उदाहरण पेश करें.त उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली ने पहले फिल्म को इतिहास पर आधारित बताया था लेकिन बाद उन्होंने फिल्म को काल्पनिक बताया और आज तक वो इस हालात को साफ नहीं कर पा रहे हैं.
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