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भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में कुछ कोड वर्ड्स का खुलासा किया है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना और वहां के कई आतंकवादी समूहों जम्मू और कश्मीर के आंतकवादियों से संपर्क साधने के लिए कर रहे थे ताकि क्षेत्र में हिंसा फैलाई जा सके. सूत्रों ने ये जानकारी दी है. पता चला है कि ये कोड वर्ड्स पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नियंत्रण रेखा के पास लगाए गए एफएम ट्रांसमिशन के जरिए भेजे जाते हैं, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के लिए (66/88), लश्कर-ए-तैयबा के लिए (ए3) और अल बद्र के लिए (डी 9) कोड रखे गए हैं.
ये बातचीत पाकिस्तान के राष्ट्रगान 'कौमी तराना' के जरिए किया जा रहा है, जो कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग एक हफ्ते बाद किया गया था, जिसके बाद इस क्षेत्र में लैंडलाइन, मोबाइल फोन और इंटरनेट नेटवर्क को बंद कर दिया गया था.
'कौमी तराना' के कई वर्जन का बहुत सक्रियता से इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे पाकिस्तानी सेना और आतंकवादी समूहों ने एफएम ट्रांसमिशन स्टेशनों के माध्यम से जम्मू और कश्मीर के अपने हैंडलर्स और कैडर्स को भेजा है.
खुफिया जानकारी में बताया गया है कि बहुत उच्च आवृत्ति वाले (वीएचएफ) रेडियो स्टेशनों ने 'कौमी तराना' बजाकर भारत में एलओसी के नजदीक से सिग्नल भेजे जा रहे थे, जिसका इस्तेमाल लश्कर , जैश और अल बद्र द्वारा जम्मू और कश्मीर में स्थानीय कैडर्स से बातचीत के लिए भी किया जा रहा था. सूत्रों का कहना है कि एलओसी के नजदीक आतंकवादी वीएफएफ संदेश हासिल कर रहे हैं, फिर इसे हिंसा करने और आसपास के गांव वालों को गुमराह करने के लिए फैला रहे हैं.
पाकिस्तान की सेना भी पीओके के मौजूदा एफएम ट्रांसमिशन स्टेशनों को एलओसी के करीब ट्रांसफर कर रही है. पाकिस्तानी सेना के 10 कार्प्स कमांडर ने इस काम को सिग्नल कॉर्प को सौंपा है. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के इस कदम का उद्देश्य आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ कराना है.
(इनपुट: IANS)
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