advertisement
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के बेअसर होने और राज्य के विभाजन के फैसले पर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. उसने भारत सरकार के इन फैसलों के बाद भारत के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित करने और द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगाने जैसे कदम उठाए हैं. इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी आपत्तियों के साथ कश्मीर को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है.
बता दें कि भारत की आजादी से पहले कश्मीर रियासत जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट और बाल्टिस्तान को मिलाकर बनी थी. इसका कुल क्षेत्रफल 222,236 वर्ग किलोमीटर था. साल 1947 में कबीलाइयों के हमले के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया था.
क्या है कश्मीर की मौजूदा स्थिति?
फिलहाल भारत के पास कश्मीर का 101,437 वर्ग किलोमीटर हिस्सा है. जबकि पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर का 78,114 वर्ग किलोमीटर हिस्सा है. इसके अलावा कश्मीर के 42,685 वर्ग किलोमीटर हिस्से पर चीन का कब्जा है. इस हिस्से में 5,180 वर्ग किलोमीटर का वो हिस्सा भी शामिल है, जिसे पाकिस्तान ने चीन को 1963 में दे दिया था.
सबसे पहले ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ की बात करते हैं. ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ का कुल क्षेत्रफल 64,817 वर्ग किलोमीटर है. इसकी राजधानी गिलगिट है. इसके अलावा स्कार्दू, घीजर और हुंजा नगर इसके बाकी अहम हिस्से हैं.
पाकिस्तान ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ को किस तरह प्रशासित कर रहा है?
काउंसिल की व्यवस्था में उसके लिए ये सदस्य तय किए गए थे:
‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ एम्पावर एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 के तहत ही
अब ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ ऑर्डर 2018 ने गिलगिट बाल्टिस्तान विधानसभा का नाम बदलकर ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ असेंबली कर दिया है. इस असेंबली को मिनरल, हाइड्रोपावर और टूरिज्म क्षेत्रों से जुड़े कानून बनाने के भी अधिकार दे दिए गए. पहले ये अधिकार ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ काउंसिल के पास थे.
इसके अलावा ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ ऑर्डर 2018 से वहां की न्याय व्यवस्था में भी बदलाव किए गए हैं. अब ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ सुप्रीम अपीलेट कोर्ट के चीफ जस्टिस पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे. चीफ कोर्ट का नाम बदलकर हाई कोर्ट कर दिया गया है. जजों की नियुक्ति एक 5 सदस्यीय कमेटी की सलाह पर प्रधानमंत्री करेंगे.
पाकिस्तान ने किस तरह ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ की स्वायत्तता में दखल दिया है?
‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ ऑर्डर 2018 को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. जहां कुछ लोग इस ऑर्डर को ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ असेंबली को मजबूती देने वाला मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इससे ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का शिकंजा और मजबूत हुआ है.
‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ एम्पावर एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 के तहत विधायी शक्तियां काउंसिल (जिसमें ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ का भी प्रतिनिधित्व था) और असेंबली के पास थीं. जबकि 2018 के ऑर्डर से ये शक्तियां पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और असेंबली को दी गई हैं. इतना ही नहीं नए ऑर्डर के एक प्रावधान को पढ़कर साफ झलकता है कि कानून बनाने के मामले में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ विधानसभा से ज्यादा शक्तिशाली होंगे. इस प्रावधान में कहा गया है-
‘’अगर असेंबली के किसी कानून का कोई प्रावधान, प्रधानमंत्री की सामर्थ्य में बनाए जा सकने वाले कानून के किसी प्रावधान के खिलाफ है, तो प्रधानमंत्री द्वारा बनाया गया कानून, भले ही यह असेंबली के कानून से पहले बना हो या बाद में, लागू होगा और असेंबली का कानून अस्वीकार्यता की स्थिति बरकरार रहने तक निष्क्रिय रहेगा.’’
‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ की ‘स्वायत्तता’ में पाकिस्तान ने 1974 में भी बड़ा दखल दिया था, जब इस क्षेत्र से स्टेट सब्जेक्ट रूल हटा दिया था. इसके चलते वहां की डेमोग्राफी में भी बदलाव हुआ, क्योंकि वहां बाहर के लोगों को जमीन खरीदने की छूट मिल गई.
अब बात करते हैं PoK के दूसरे हिस्से यानी तथाकथित 'आजाद जम्मू-कश्मीर' ('AJ&K') की. इस हिस्से का कुल क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किलोमीटर है. इसकी राजधानी मुजफ्फराबाद है. बात इसके बाकी मुख्य हिस्सों की करें तो उसमें पुंछ, पलंडरी, कोटली, मीरपुर और भीमबेर शामिल हैं.
पाकिस्तान में तथाकथित ‘AJ&K’ किस तरह प्रशासित हो रहा है?
काउंसिल की व्यवस्था में उसके लिए ये सदस्य तय किए गए थे:
हालांकि तथाकथित 'AJ&K' में जिस तरह काउंसिल की शक्तियां हटा दी गईं, उसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. दरअसल जिस तरह ‘गिलगिट बाल्टिस्तान’ में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बढ़े दखल की बात हो रही है, कुछ उसी तरह की बातें PoK के दूसरे हिस्से को लेकर भी हो रही हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)