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महाराष्ट्र के पालघर में हुई मॉब लिंचिंग मामले को सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है. हमला करने वाली भीड़ का धर्म पता करने की लगातार कोशिश जारी है. इस बीच महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि इस मामले में गिरफ्तार किए 101 आरोपियों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है.
बता दें कि 16 अप्रैल को पालघर के गडचिचोली गांव में दो साधुओं समेत कुल तीन लोगों की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्ष ने महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को जमकर घेरा और घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की. चारों ओर से दबाव बढ़ता देख सीएम उद्धव ठाकरे ने स्टेट सीआईडी से मामले की जांच कराने का ऐलान किया.
जो लोग इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने घटना के एक वीडियो को खूब वायरल किया. जिसमें एक शख्स 'ओए बस' पुकार रहा है, लेकिन इसे 'ओए शोएब' बताया जा रहा था. फेसबुक लाइव के जरिए राज्य की जनता को जानकारी देते हुए गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि,
वहीं देशमुख ने जनता को इस बात से आश्वस्त किया की साधुओं की हत्या के मामले में जो भी दोषी होगा उससे बक्शा नहीं जाएगा.
जो लोग देश को गुमराह करके इस घटना को सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने कई तरह के हथकंडे अपनाए. ऐसे ही कुछ लोगों को तब मौका मिल गया जब न्यूज एजेंसी पीटीआई की तरफ से एक ट्वीट में कुछ गलती हो गई. दरअसल न्यूज एजेंसी पीटीआई की तरफ से एक गलत ट्वीट किया गया था. जिसका कुछ लोगों ने फायदा उठाना शुरू किया और इस घटना को दूसरा एंगल देने की कोशिश करने लगे.
इसके तुरंत बाद पीटीआई ने अपनी गलती मानकर ट्वीट डिलीट कर दिया. इसके साथ ही न्यूज एजेंसी की तरफ से सुधार करते हुए नया ट्वीट किया गया, जिसमें बताया गया कि पालघर की घटना में गिरफ्ता हुए कुल 101 लोगों में से कोई भी मुस्लिम समुदाय का नहीं है. वहीं उन लोगों को भी साफ हिदायद दी गई है, जो इस ट्वीट को आगे बढ़ाकर गलत जानकारियां फैला रहे हैं. उनसे कहा गया है कि अब इस गलत जानकारी को आगे बढ़ाने वाले लोग खुद ही इसके जिम्मेदार माने जाएंगे.
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