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नोटबंदी के एक साल पूरे होने से ठीक दो दिन पहले काले धन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इस खुलासे के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है, जो दुनिया भर में अमीरों और कॉर्पोरेट कंपनियों का पैसा विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं.
ये खुलासा इंडियन एक्सप्रेस, जर्मनी की जीटॉयचे और 96 मीडिया ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इंटरनेशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने किया है.
दरअसल ये वही टीम है. जिसने 2016 में पनामा पेपर्स का खुलासा किया था. और इस लीक को 'पैराडाइज पेपर्स' का नाम दिया गया है. इस पेपर में करीब 714 भारतीय राजनेता, अभिनेता, कॉर्पोरेट का भी नाम है. 'पैराडाइज पेपर्स' में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं.
पैराडाइज पेपर्स की छानबीन में जो सामने आया है, उसमें ज्यादातर नाम बरमूडा की लॉ फर्म एपलबी से जुड़े हैं. 119 साल पुरानी एपलबी कंपनी में जो लोग शामिल हैं, वो अपने क्लाइंट्स के लिए विदेशों में कंपनियां बनाते हैं और साथ ही उनके बैंक अकाउंट्स को मैनेज भी करते हैं.
इस पेपर में ये भी खुलासा हुआ है कि एपलबी का दूसरी सबसे बड़ी क्लाइंट एक भारतीय कंपनी है. नंद लाल खेमका की सन ग्रुप ही वो कंपनी है. सन ग्रुप की दुनियाभर में करीब 118 सहयोगी कंपनियां हैं. वहीं इस लिस्ट में दुनिया भर की कुल 180 देशों के नाम हैं. इस लिस्ट में भारत 19वें नंबर पर है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस लिस्ट में
राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा से मीडिया ने इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने एक पेपर में लिखा कि वो 7 दिन के लिए मौन व्रत पर हैं. उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा.
वहीं इस पेपर में बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त और कॉर्पोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के भी नाम का जिक्र है.
इस बीच जयंत सिन्हा ने कहा, “ये मैंने अपने लिए नहीं, कंपनी के लिए किया था जब मैं राजनीति में भी नहीं था.”
पैराडाइज पेपर्स में इंग्लैंड की क्वीन एलिजाबेथ- 2, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कॉमर्स सेक्रेटरी विलबर रॉस और रूस से रिश्ते, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के चीफ फंडरेजर के लेनदेन, ट्विटर और फेसबुक में रूसी कंपनियों के निवेश जैसी कई बातें भी सामने आई हैं.
फिलहाल पैराडाइज पेपर्स के सामने के बाद अब तक जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में शामिल है उनकी तरफ से कोई बयान नहीं आया है.
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