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संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर, सोमवार से शुरू होने जा रहा है, जिसके 13 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है. इस सत्र में सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने की कोशिश करेगी. वहीं, विपक्ष आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई, कश्मीर, किसान, एनआरसी और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में है.
बीजेपी को भी इसका अंदाजा है. इसी वजह से संसद में मुखर होकर बोलने वाले पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के प्रमुख सांसद अभी से इन विषयों की तैयारी में जुट गए हैं. बीजेपी मुख्यालय पर बैठने वाली रिसर्च टीम से भी इन विषयों पर पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है.
अर्थव्यवस्था में मंदी, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन और जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने के साथ-साथ किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सख्त तेवर देखते हुए इस शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है.
महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन शिवसेना की नाराजगी की वजह से सरकार बनाने में नाकाम रही. अब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी है. लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, उससे विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. संभव है कि ये मुद्दा संसद में भी गूंजेगा.
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने और इसका दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह संसद का पहला सत्र होगा. सरकार ने इससे संबंधित विधेयक सत्र के अंतिम दिनों में पारित कराए थे और विपक्ष विरोध के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में नाकाम रहा था. इस बार वह इस मुद्दे को सत्र के दौरान जोर-शोर से उठाने की पूरी कोशिश करेगा.
विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद जिस तरह से कश्मीर के बड़े नेताओं को नजरबंद रखा गया है, उसे लेकर भी विपक्षी दल आक्रामक रुख दिखा सकते हैं.
संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष की रणनीति पर बीजेपी के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद ने बताया, "कश्मीर पर पिछले सत्र में ही बहुत सारी बहस हो चुकी है, अब वहां के हालात सामान्य हैं. विदेशी सांसदों के कश्मीर दौरे पर विपक्ष के स्टैंड को देखते हुए सत्र में कुछ सवाल उठ सकते हैं, बाकी अब ज्यादा गुंजाइश नहीं है. विपक्षी दलों के पास वैसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, मगर आर्थिक मुद्दों पर जरूर वे सरकार की घेराबंदी करने की कोशिश करेंगे. हम भी इसे समझते हैं और शीतकालीन सत्र में हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं, हर सवाल का सामना करेंगे."
लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ सत्ता में वापसी के बाद पिछले संसद सत्र में रिकार्डतोड़ कामकाज से उत्साहित मोदी सरकार एक बार फिर नए विधेयकों के भारी भरकम एजेंडे के साथ संसद सत्र की रणनीति बनाने में जुटी है.
इसके अलावा सरकार पिछले सत्र में लंबित रहे विधेयकों को भी पास कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के फैसले पर भी संसद की मुहर लगेगी.
इस सत्र में सरकार कई अहम विधेयक पेश कर सकती है, जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक भी होगा. नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा. सूत्रों का कहना है कि सरकार इस सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने की पूरी कोशिश करेगी.
इस प्रस्तावित विधेयक पर सरकार को विपक्ष के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि इसमें मुस्लिमों को नागरिकता से दूर रखा गया है. विपक्ष का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला और समानता के अधिकार के विरुद्ध है.
अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार इसी सत्र में एक विधेयक भी ला सकती है. विधेयक में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन के अधिग्रहण का भी प्रावधान किए जाने की संभावना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय संसद के शीतकालीन सत्र में उस विधेयक को पेश किए जाने पर जोर देगा, जिसमें ड्यूटी के दौरान चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने पर 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.
स्वास्थ्य सेवा कर्मी और नैदानिक प्रतिष्ठान (संपत्ति का नुकसान और हिंसा पर प्रतिबंध) विधेयक का मसौदा तैयार किया जा चुका है. मसौदा कानून में चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों को चोट पहुंचाने के अपराध में तीन से दस साल तक के कारावास का प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा 10 लाख रुपये तक जुर्माने का भी प्रस्ताव किया गया है. इसके साथ ही हिंसा या स्वास्थ्य इकांइयों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. ये जानकारी लोकसभा की वेबसाइट पर जारी किए गए एक नोटिफिकेशन में दी गई है.
इसके अलावा सरकार इस शीतकालीन सत्र में कुछ और महत्वपूर्ण बिल पेश कर सकती है. इनमें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी बिल-2019, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल-2019, मेंटनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटिजंस अमेंडमेंट बिल-2019 जैसे कई और बिल शामिल हैं.
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