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बाबा रामदेव एक बार फिर विवादों में हैं, इस बार वो अपने एक वायरल हो रहे वीडियो के चलते चर्चा में आए हैं, जिसमें वो एलोपैथी को एक ऐसी स्टूपिड और दिवालिया साइंस कहते दिख रहे हैं. इस मामले को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है और लीगल नोटिस भी भेजा है. लेकिन अब इस मामले पर रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट की तरफ से सफाई सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि रामदेव एक वॉट्सऐप मैसेज को लोगों के सामने पढ़ रहे थे.
पतंजलि की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, योग गुरु बाबा रामदेव मेडिकल साइंस का पूरी तरह सम्मान करते हैं. पतंजलि ट्रस्ट ने अपने बयान में कहा है कि,
दरअसल बाबा रामदेव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. करीब 140 सेकेंड के इस वीडियो में बाबा रामदेव अपने फोन से कुछ पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में रामदेव कहते हैं कि,
"गजब का तमाशा है. एलोपैथी एक ऐसी स्टूपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्विन फेल हुई, फिर रेमेडिसिवर फेल हुई, फिर एंटीबायटिक इनके फेल हो गए. स्टेरॉयड फेल हो गए, प्लाज्मा थिरैपी पर बैन लग गई और फैबिफ्लू भी फेल है. लोग कह रहे हैं कि ये तमाशा आखिर हो क्या रहा है. बुखार की दवाई उनकी कोई कोरोना पर काम नहीं कर रही है. आप बॉडी का तापमान उतार देते हैं लेकिन टेंपरेचर जिस कारण से आ रहा है उसका निवारण तुम्हारे पास है नहीं तो कैसे ठीक करोगे. मैं बहुत बड़ी बात कह रहा हूं हो सकता है कि इस पर कुछ लोग विवाद करेंगे, लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा खाने से हुई है. जितने लोगों की मौत हॉस्पिटल नहीं जाने से, ऑक्सीजन नहीं मिलने से हुई है, उससे ज्यादा की मौत एलोपैथी की दवा मिलने के बाद हुई है. लाखों लोगों की मौत का कारण एलोपैथी है."
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें आईएमए ने कहा कि, या तो आप इन आरोपों को मान लें और मॉडर्न मेडिकल फेसिलिटी को डिसॉल्व कर दें या रामदेव पर मुकदमा चलाया जाए, महामारी रोग अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हो.' साथ ही आईएमए ने रामदेव को एक लीगल नोटिस भी जारी किया है.
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