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पेटीएम के मालिकर विजय शेखर शर्मा और उनके भाई अजय शेखर शर्मा ने एक केस में डेटा चोरी और जबरन वसूली का आरोप लगाया. अब उस केस में कई नई बातें सामने आ रही हैं. इस केस के हर एक पहलू को क्विंट हिंदी बारीकी से कवर कर रहा है और अब ऐसे में हमने पता लगा लिया है कि जिस डेटा के चोरी होने की बात सामने आ रही है वो डेटा किस तरह का है.
22 अक्टूबर को नोएडा में पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा और उनके भाई अजय शेकर शर्मा की शिकायत पर एक एफआईआर दर्ज होती है. आरोप लगाया जाता है कि 4 लोगों ने पेटीएम के मालिक से चोरी हुए डेटा के बदले 10 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी. आरोप है कि ब्लैकमेलर्स ने विजय शेखर शर्मा को ये कहकर भी धमकाया कि अगर पैसे नहीं दिए तो पूरे डेटा को पब्लिक के पास पहुंचा देंगे, जिससे पेटीएम मालिक की बहुत बेइज्जती होगी.
एफआईआर में इस बात की जिक्र नहीं है कि किस तरह से डेटा चोरी किया गया है और न ही शर्मा ने इस बारे में कोई कमेंट किया. मीडिया में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि ये पेटीएम यूजर्स के पर्सनल डेटा से जुड़ा मामला हो सकता है जिसे बाद में ब्लैकमेलर मिसयूज भी कर सकते हैं.
क्विंट हिंदी को आखिरकार पता लग ही गया कि इस केस में किस तरह का डेटा चोरी हुआ है.
डॉ. अजय पाल शर्मा, एसएसपी, गौतमबुद्ध नगर जिला ने हमसे बात करते हुए ये कंफर्म किया है कि ये डेटा विजय शेखर शर्मा की पर्सनल लाइफ से संबंधित है.
हमारे के विश्वस्नीय सूत्र ने बताया कि विजय शेखर शर्मा का ये पर्सनल डेटा देवेंद्र कुमार नाम के पेटीएम कर्मचारी ने ही चुराया था. नोएडा पुलिस के मुताबिक एक आरोपी के पास से एक सीडी मिली है जिसमे कथित तौर पर चोरी किया हुआ डेटा है. सीडी को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.
क्विंट हिंदी के पास जो एफआईआर है उससे पता लगता है कि चोमवाल इस केस का मुख्य किरदार है. वो लगातार विजय और अजय से व्हॉट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए बात कर रहा था.
एफआईआर में लिखा है कि....
रोहित चोमवाल ही हैं जिन्होंने फिरौती के 10 करोड़ रुपए मांगे और साथ ही पेटीएम के मालिकों को डराया और धमकाया.
सोनिया के वकील ने ये बताने से इंकार कर दिया कि चोरी हुए डेटा में क्या है क्योंकि मामला अभी जांच के दायरे में है. आपको बता दें कि चोमवाल के बैंक अकाउंट में 10 और 15 अक्टूबर को 67 लाख और 2 लाख रुपए डाले गए.
चौंंकाने वाली बात ये है कि इस केस में चोमवाल बड़ा खिलाड़ी है लेकिन पुलिस ने अभी तक उससे कोई पूछताछ नहीं की है. इसी दौरान सोनिया, रूपक और देवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया और वो लोग जेल में हैं. 4 दिसंबर को सोनिया की जमानत को लेकर सुनवाई होगी.
नवंबर 2018 में चोमवाल ने इलाहबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसने उन्हें जांच पूरी होने तक गिरफ्तार होने से बचा लिया है. अपनी याचिका में चोमवाल ने लिखा है कि उसे गलत आरोपी बनाया गया है और बलि का बकरा बनाया जा रहा है खासकर तब जब याचिकाकर्ता चोमवाल ने खुद विजय शेखर शर्मा और उसके भाई को गुनहगारों को पकड़ने में मदद की.
पुलिस ने अभी तक ये साफ नहीं किया है कि सोनिया, रूपक और देवेंद्र के खिलाफ उनके पास क्या सबूत हैं जो ये साबित करें कि इस केस में वो जिम्मेदार हैं.
क्या चोमवाल इतने बेवकूफ हैं कि वो अपने अकाउंट में फिरौती के पैसे ट्रांसफर करने के लिए हां कह देंगे जबकि वही ट्रांसेक्शन उनके खिलाफ सबूत बनेगा.
एफआईआर में लिखा है कि फिरौती के लिए पहली कॉल चोमवाल ने ही 20 सितंबर को की थी लेकिन एफआईआर 22 अक्टूबर को दर्ज कराई गई. पेटीएम के मालिक 32 दिनों तक क्यों इंतजार करते रहे?
विजय और उसके भाई ने चोमवाल के अकाउंट में पहले 2 लाख भेजे और फिर शिकायत क्यों दर्ज की? क्या से सबूत बनाने के लिए था? जबकि एफआईआर में लिखा है कि उनके पास सबूत के तौर पर चोमवाल के व्हॉट्सएप कॉल और मैसेज थे.
सोनिया के वकील ने कहा है कि वो 20 सितंबर से लेकर 22 अक्टूबर तक लगातार ऑफिस जा रही थी. इसी दौरान चोमवाल विजय को ब्लैकमेल कर रहा था. उसके वकील ने दवा किया है कि सोनिया के ऑफिस में रहने की सीसीटीवी कैमरे पर तस्वीरें भी होंगी. सवाल ये है कि- जब विजय जानते थे कि सोनिया भी उन्हें ब्लैकमेल करने वालों में मिली हुई है तो उसे ऑफिस आने की इजाजत क्यों दी गई?
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