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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 31 जनवरी को एक अधिसूचना जारी कर पेटीएम पेमेंट बैंक की कई सेवाओं पर रोक लगा दी थी. मामले से संबंधित लोगों ने कहा कि उचित पहचान के बिना पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर बनाए गए सैकड़ों अकाउंट्स भी एक वजह बनीं, जिसको लेकर RBI ने कड़े प्रतिबंध लगाए. बिना KYC वाले इन खातों ने प्लेटफॉर्म पर करोड़ों रुपये का लेनदेन किया, जिससे संभावित मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका पैदा हो गई.
RBI ने चिंता जताई कि कुछ खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा सकता है. ईडी को सूचित करने के साथ-साथ, आरबीआई ने मामले को लेकर गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी सूचित किया.
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने रॉयटर्स को बताया कि अगर अवैध गतिविधि का कोई सबूत मिला तो ED पेटीएम पेमेंट्स बैंक की जांच करेगी.
समूह और संबद्ध पक्षों के भीतर प्रमुख लेनदेन का खुलासा न करने की भी खबरें थीं, जिससे नियामक चिंताएं और बढ़ गईं. केंद्रीय बैंक की जांच से शासन मानकों में खामियां भी उजागर हुईं, खासकर पेटीएम पेमेंट्स बैंक और इसकी मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड के बीच संबंध में.
पेटीएम के मूल ऐप के माध्यम से किए गए लेनदेन ने डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया, जिसके कारण आरबीआई को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के माध्यम से लेनदेन रोकने का निर्णय लेना पड़ा.
हालांकि सेविंग अकाउंट्स, वॉलेट, FASTags और NCMC अकाउंट्स में यूजर्स की जमा राशि तुरंत प्रभावित नहीं होगी. कंपनी को 29 फरवरी तक अपने परिचालन के लिए थर्ड पार्टि के बैंकों पर निर्भर रहना होगा.
आरबीआई के नोटिस के बाद, पेटीएम के स्टॉक में भारी गिरावट आई, दो दिनों में 36% की गिरावट आई और इसके मार्केट वैल्यू से 2 बिलियन डॉलर कम हो गए.
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने विश्लेषकों के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान नियामक कार्रवाइयों को "स्पीड बम्प" के रूप में खारिज कर दिया. जिसका उद्देश्य मौजूदा अशांति के बीच हितधारकों को आश्वस्त करना था.
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