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पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Snoopgate) में नया खुलासा हुआ है. पता लगा है कि सर्विलांस का दायरा सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों तक फैलाया गया था. द वायर की नई रिपोर्ट के मुताबिक, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के दो अधिकारी, RAW के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय सेना के कम से कम दो अफसरों को संभावित सर्विलांस (Pegasus Project) का टारगेट चुना गया था.
इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से दुनियाभर के 10 देशों में करीब 50,000 नंबरों को संभावित सर्विलांस या जासूसी का टारगेट बनाया गया. लीक हुए डेटाबेस में 300 भारतीय फोन नंबर हैं.
टारगेट लिस्ट में दो भारतीय सेना के अफसरों का भी नाम है. कर्नल रैंक के ये दो अफसर कुछ मुद्दों पर सरकार के खिलाफ कोर्ट गए थे.
हालांकि, ये पता नहीं चल सका है कि इनमें से किसी भी नंबर की जासूसी हुई थी या नहीं. क्योंकि इसके लिए फोन की फॉरेंसिक एनालिसिस जरूरी है.
पेगासस से जासूसी और संभावित सर्विलांस की रिपोर्ट्स इंटरनेशनल पत्रकारों का एक कंसोर्टियम छाप रहा है. लीक हुए डेटाबेस की जांच फ्रांस की संस्था फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने की है. इसमें पता चला है कि दुनियाभर के पत्रकारों, एक्टिविस्ट और नेताओं के नंबर पेगासस की टारगेट लिस्ट में डाले गए थे.
18 जुलाई से अब तक कई रिपोर्ट्स छप चुकी हैं, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा समेत दो केंद्रीय मंत्रियों के नाम का खुलासा हुआ है.
हालांकि, भारत सरकार ने जासूसी में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है. केंद्र ने पेगासस प्रोजेक्ट को भारत की छवि खराब करने की कोशिश बताया है.
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