advertisement
पेगासस (Pegasus)जैसे स्पाइवेयर का प्रयोग सरकार किस तरह से अपने हितों के लिए कर सकती है, इसका खुलासा 18 जुलाई को हुआ. एक भारतीय ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल ने अपने रिपोर्ट में दावा किया कि कम से कम 40 भारतीय पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली स्पाइवेयर ,पेगासस का प्रयोग किया गया है.कम से कम 40 भारतीय पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली स्पाइवेयर ,पेगासस का प्रयोग किया गया है
18 जुलाई को इन मीडिया संस्थानों ने सरकारों द्वारा जासूसी की पहली खबर प्रकाशित की.पेगासस प्रोजेक्ट में 50 हजार नंबरों की जांच की गई है. 'द वायर' ने दावा किया कि कम से कम 40 भारतीय पत्रकारों के फोन को जासूसी के लिए पेगासस की मदद से हैक किया गया था.पेगासस के लिक्ड डेटा में मौजूद भारतीय फोन नंबरों में से कुछ पर किए गए स्वतंत्र डिजिटल फॉरेंसिक एनालिसिस के आधार पर यह पता चलता है कि उन पर पेगासस हैक का प्रयास हुआ था या हो चुका था.
इस लिस्ट में द वायर के दो फाउंडिंग एडिटर और एक डिप्लोमेटिक एडिटर का नंबर शामिल है .इसके अलावा रोहिणी सिंह समेत एक और कंट्रीब्यूटर पर भी जासूसी का दावा है.
इस लिस्ट में इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व पत्रकार सुशांत सिंह का नाम 2018 में जोड़ा गया, जब वो रफाल डील को कवर कर रहे थे. इस लिस्ट में हिंदुस्तान टाइम्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शिशिर गुप्ता, एडिटोरियल पेज एडिटर और पूर्व ब्यूरो चीफ प्रशांत झा तथा डिफरेंस कॉरस्पॉडेंट राहुल सिंह का भी नंबर है.
साथ ही इंडियन एक्सप्रेस की रितिका चोपड़ा और मुजम्मिल जमील, इंडिया टुडे के संदीप उन्नीथन,TV18 के मनोज गुप्ता और द हिंदू की विजेता सिंह पर भी जासूसी का दावा किया गया है.
इसमें कई ऐसे पत्रकार भी हैं जो स्वतंत्र रूप से दिल्ली से बाहर काम करते हैं .नॉर्थ-ईस्ट बेस्ड 'फ्रंटियर टीवी' के एडिटर इन चीफ मनोज गुप्ता, बिहार बेस्ड संजय गुप्ता और पंजाब बेस्ड जसपाल सिंह हिरेन का नाम भी शामिल. अभी तक इतने पत्रकारों का नाम सामने आया है ,बाकी का नाम सामने आते ही इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)